फिक्की एनुअल कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस 2025 में पांडेय ने कहा, “इक्विटी डेरिवेटिव्स की अवधि को बढ़ाना जरूरी है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सेबी जल्द ही इस पर एक कंसल्टेशन पेपर जारी करेगा, जिससे डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की अवधि और परिपक्वता में सुधार हो सके। साथ ही, कैश मार्केट में ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ाने पर भी फोकस है। यह बयान मार्केट में तूफान की तरह फैला, जिसने बीएसई और एंजल वन जैसे शेयरों को झटका दिया। एफएंडओ सेगमेंट में संतुलन की जरूरत पांडेय ने कहा, “इक्विटी डेरिवेटिव्स पूंजी निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन हमें गुणवत्ता और संतुलन बनाए रखना होगा।” उन्होंने स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत का भरोसा दिलाया, ताकि डेरिवेटिव्स की अवधि बढ़ाकर हेजिंग और लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। सेबी का यह कदम सट्टेबाजी को कम करने और मार्केट को स्थिर करने की दिशा में है, खासकर जब रिटेल निवेशकों के भारी नुकसान की बात सामने आई है। सेबी की एक स्टडी के मुताबिक, 2025 में 91% रिटेल ट्रेडर्स ने डेरिवेटिव्स में 1.05 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाया। बीएसई और एंजल वन पर क्यों पड़ा असर? क्रॉससीज कैपिटल सर्विसेज के राजेश बहेती ने बताया कि डिस्काउंट ब्रोकर्स और एक्सचेंजों का 85% रेवेन्यू डेरिवेटिव्स से आता है। अगर डेरिवेटिव्स की अवधि बढ़ती है, तो बीएसई की आय में 50-60% और एनएसई की आय में 35-40% की कमी आ सकती है। फुल-सर्विस ब्रोकरेज फर्मों को भी 10-15% रेवेन्यू का झटका लग सकता है। एंजल वन के सीईओ दिनेश ठक्कर के मुताबिक, उनकी कंपनी का 45% रेवेन्यू एफएंडओ सेगमेंट से आता है। बीएसई का रेवेन्यू डायवर्सिफिकेशन पर जोर बीएसई के एमडी और सीईओ एस. राममूर्ति ने 12 अगस्त को कहा था कि भारत में रेगुलेटरी नीतियां लगातार बेहतर हो रही हैं। उन्होंने वीकली एक्सपायरी हटाने की खबरों पर टिप्पणी से इनकार किया, लेकिन रेवेन्यू के नए स्रोत तलाशने पर जोर दिया। उनका कहना था कि ऑप्शंस ट्रेडिंग का वॉल्यूम अभी अपने चरम पर नहीं पहुंचा है। मार्केट में क्या बदलेगा? सेबी के इस प्रस्ताव से डेरिवेटिव्स मार्केट की गतिशीलता बदल सकती है। लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट्स से ट्रेडिंग वॉल्यूम घट सकता है, जिसका असर एक्सचेंजों और ब्रोकरेज फर्मों की कमाई पर होगा। हालांकि, सेबी ने स्पष्ट किया कि वीकली एक्सपायरी खत्म करने की खबरें गलत हैं। सितंबर 2025 से बीएसई के ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी गुरुवार को होगी, जबकि एनएसई की मंगलवार को निवेशकों की चिंता और भविष्य पांडेय के बयान ने निवेशकों में अनिश्चितता पैदा की है, क्योंकि डेरिवेटिव्स बीएसई और एंजल वन जैसे प्लेयर्स की कमाई का बड़ा हिस्सा हैं। सेबी का कंसल्टेशन पेपर आने वाले दिनों में मार्केट की दिशा तय करेगा। निवेशकों को सलाह है कि वे सेबी की अंतिम नीति का इंतजार करें और विशेषज्ञों से सलाह लेकर निवेश करें संशोधन और सुधार:
- रचनात्मक शीर्षक और भाषा: शीर्षक को और प्रभावशाली बनाया, “हलचल” जैसे शब्द जोड़कर इसे आकर्षक किया। सामग्री में “तूफान की तरह फैला” और “झटका दिया” जैसे वाक्यांशों से भावनात्मक प्रभाव बढ़ाया।
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- भावनात्मक प्रभाव: “निवेशकों को सकते में डाल दिया” और “मार्केट में अनिश्चितता” जैसे वाक्य जोड़े, जो पाठक का ध्यान खींचते हैं।
- तथ्य-जांच: शेयर मूल्य (2,392.80 और 2,567 रुपये) और गिरावट (5.16% और 5.51%) को वेब स्रोतों से क्रॉस-चेक किया। सेबी की स्टडी और रेवेन्यू प्रभाव के आंकड़े सटीक हैं।
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