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रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने नई दिल्ली में तीनों सेनाओं के सेमिनार को संबोधित किया

Rajnath Singh ने नई दिल्ली में तीनों सेनाओं के सेमिनार को संबोधित कियाRajnath Singh ने नई दिल्ली में तीनों सेनाओं के सेमिनार को संबोधित किया
जब हमारी तीनों सेनाएं कंधे से कंधा मिलाकर एकजुट होती हैं, तो उनकी साझा शक्ति अजेय हो उठती है। ऑपरेशन सिंदूर इस सामूहिक बल का जीवंत प्रमाण है,” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार, 29 सितंबर 2025 को दिल्ली में आयोजित त्रि-सेवा संगोष्ठी में गर्व के साथ यह उद्घोष किया।ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय सेनाओं ने एक अभूतपूर्व एकीकरण का प्रदर्शन किया, जिसने वायु रक्षा में सामंजस्य की नई मिसाल कायम की।

भारतीय वायुसेना का एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम) थलसेना के ‘आकाशतीर’ और नौसेना के ‘त्रिगुण’ प्रणाली के साथ पूर्ण तालमेल में कार्य किया। इस त्रि-सेवा सहक्रियता ने एक ऐसी रियल-टाइम परिचालन तस्वीर प्रस्तुत की, जिसने कमांडरों को त्वरित, सटीक और निर्णायक निर्णय लेने की अद्वितीय क्षमता प्रदान की। रक्षा मंत्री ने अपने प्रेरक संबोधन में त्रि-सेवा एकीकरण, सामंजस्य और भविष्य के लिए तैयार सशस्त्र बलों की दृष्टि साझा की।

उन्होंने कहा कि एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली ने ‘आकाशतीर’ और ‘त्रिगुण’ के साथ मिलकर एक मजबूत आधार स्तंभ का निर्माण किया, जिसने कमान और नियंत्रण तंत्र को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इस एकीकरण ने न केवल स्थिति की जानकारी को समृद्ध किया, बल्कि प्रत्येक सैन्य कार्रवाई को अचूक और प्रभावशाली बनाया। “यह है हमारी सेनाओं की असली सामूहिकता, जहां थल, जल और वायु सेनाएं एक स्वर में, पूर्ण सामंजस्य के साथ, विजय की गाथा लिखती हैं,” राजनाथ सिंह ने जोश के साथ कहा। उन्होंने आधुनिक युद्ध की जटिल चुनौतियों, विशेष रूप से साइबर हमले और सूचना युद्ध, पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सेनाओं के साइबर सुरक्षा तंत्र अलग-अलग मानकों पर काम करेंगे, तो उनमें असंगति उत्पन्न हो सकती है, जिसका लाभ शत्रु या हैकर्स उठा सकते हैं। इसलिए, साइबर और सूचना युद्ध के मानकों का एकीकरण आज की अनिवार्य आवश्यकता है।

रक्षा मंत्री ने बताया कि अब तक सेनाओं का ज्ञान और अनुभव उनकी अपनी सीमाओं तक ही सीमित रहा। थलसेना का अनुभव थलसेना में, नौसेना का नौसेना में और वायुसेना का वायुसेना में ही रह गया। लेकिन 21वीं सदी के बदले सुरक्षा परिदृश्य में यह दृष्टिकोण अब अप्रासंगिक हो चुका है। आज के खतरे—भूमि, जल, वायु, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्रों में गहन रूप से परस्पर जुड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी सेना यह नहीं मान सकती कि वह अकेले सभी चुनौतियों का सामना कर लेगी। “सहक्रियता और सामूहिकता अब केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि संचालन की अनिवार्य शर्त है,” उन्होंने बल देकर कहा। अलग-अलग मानकों से भ्रम और विलंब उत्पन्न हो सकता है, जो युद्ध के मैदान में घातक सिद्ध हो सकता है। एक छोटी-सी तकनीकी चूक भी व्यापक परिणाम ला सकती है। लेकिन जब मानक एकरूप होंगे, तो समन्वय निर्बाध होगा, सैनिकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और परिणाम अभूतपूर्व होंगे।

रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि मानकीकरण का अर्थ सेनाओं की विशिष्टता को मिटाना नहीं है। थलसेना, नौसेना और वायुसेना की अपनी-अपनी ताकत, विशेषताएं और कार्यशैली हैं। प्रत्येक सेवा अलग-अलग परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करती है, इसलिए एक ही प्रक्रिया सभी पर लागू नहीं हो सकती। उनका लक्ष्य एक ऐसा साझा ढांचा विकसित करना है, जो सहक्रियता और परस्पर विश्वास को सशक्त बनाए, ताकि तीनों सेनाएं एकजुट होकर कार्य करें और उनकी प्रक्रियाएं परस्पर संनादित हों। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रक्षा मंतत्रि-सेवा सूची प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाए। इस दिशा में त्रि-सेवा लॉजिस्टिक अनुप्रयोग पर कार्य शुरू हो चुका है, जो तीनों सेनाओं के नेटवर्क और डेटाबेस का उपयोग कर उनकी संपूर्ण सूची की दृश्यता सुनिश्चित करेगा और सेवाओं के बीच सामग्री के आदान-प्रदान को सुगम बनाएगा। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन के अंत में जोशपूर्णएक स्वर, एक लय और एक ताल में कार्य करेंगी, तभी हम हर मोर्चे पर शत्रुओं को करारा जवाब दे पाएंगे और राष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।” ऑपरेशन सिंदूर की यह गाथा न केवल हमारी सेनाओं की एकता का प्रतीक है, बल्कि एक सुरक्षित और सशक्त भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी है।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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