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Delhi: बारापुला फेज-3, दशक की रुकावटों को चीरता सिग्नल-फ्री कॉरिडोर, पेड़ों की कटाई-प्रत्यारोपण को हरी झंडी!

पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंहपीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह
Delhi: बारापुला फेज-3, दशक की रुकावटों को चीरता सिग्नल-फ्री कॉरिडोर, पेड़ों की कटाई-प्रत्यारोपण को हरी झंडी!लगभग एक दशक से अटकी दिल्ली की महत्वाकांक्षी बारापुला फेज-3 परियोजना अब रफ्तार पकड़ने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय सशक्त समिति (सीईसी) ने इस एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए 333 पेड़ों के भाग्य का फैसला सुना दिया है—85 पेड़ों को काटा जाएगा, 87 का प्रत्यारोपण होगा, और 161 को संरक्षित रखा जाएगा। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने ऐलान किया कि अगले एक साल में यह 3.5 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर दिल्लीवासियों के लिए सिग्नल-मुक्त यात्रा का तोहफा बनकर तैयार हो जाएगा, जो मयूर विहार फेज-1 से दक्षिणी दिल्ली के आईएनए तक सुगम कनेक्टिविटी देगा।

बारापुला के फेज-1 और फेज-2 पहले ही दिल्ली की सड़कों को गति दे चुके हैं, लेकिन फेज-3 का सफर पर्यावरणीय अड़चनों और पेड़ों की कटाई-प्रत्यारोपण की मंजूरी के अभाव में वर्षों से ठप था। 2014 में मंजूर और अप्रैल 2015 में शुरू हुई इस परियोजना की लागत 964 करोड़ रुपये से उछलकर अब 1330 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। फिर भी, यह कॉरिडोर दिल्ली की ट्रैफिक जटिलताओं को सुलझाने और पर्यावरण संरक्षण का संतुलन साधने का वादा करता है।

पर्यावरण के साथ संतुलन, तकनीक का कमाल

इस कॉरिडोर को यमुना के संवेदनशील बाढ़ क्षेत्र में न्यूनतम नुकसान के साथ डिजाइन किया गया है। एक्स्ट्राडोज्ड ब्रिज तकनीक और पियर-सपोर्टेड संरचना के जरिए पिलरों की संख्या कम की गई है। दोनों ओर तीन-तीन लेन, आठ लूप (चार सराय काले खां और चार मयूर विहार पर), पैदल यात्रियों व साइकिल सवारों के लिए समर्पित ट्रैक और फुटपाथ इसे आधुनिकता का प्रतीक बनाते हैं। यह कॉरिडोर न केवल एनएच-24, डीएनडी फ्लाईवे और रिंग रोड पर वाहनों का दबाव घटाएगा, बल्कि एनसीआरटीसी, रेलवे, आईएसबीटी, मेट्रो और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे जैसे बहु-मॉडल ट्रांजिट हब तक सीधी पहुंच सुनिश्चित करेगा।

पेड़ों का हिसाब: संरक्षण और बलिदान का मंथन

सीईसी और वन विभाग के संयुक्त सर्वे ने पेड़ों की किस्मत का बारीकी से आकलन किया। सेंट्रल फॉरेस्ट डिवीजन में 155 पेड़ों में से 10 काटे जाएंगे, 34 का प्रत्यारोपण होगा, और 111 को बचाया जाएगा। साउथ फॉरेस्ट डिवीजन में 178 पेड़ों में से 75 की बलि चढ़ेगी, 53 को नया ठिकाना मिलेगा, और 50 सुरक्षित रहेंगे। कई पेड़ों को हल्की छंटाई से ही बख्श दिया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए डिजाइन में बदलाव किए गए, पिलरों की स्थिति बदली गई, और प्रत्यारोपण को प्राथमिकता दी गई। अनुमान है कि कॉरिडोर शुरू होने पर प्रतिदिन 2 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा, जो 30,000 पेड़ों के बराबर है।

दिल्लीवासियों के लिए राहत की सौगात

पीडब्ल्यूडी मंत्री ने सीईसी और वन विभाग का आभार जताते हुए कहा, “यह कॉरिडोर न केवल जाम से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि यमुना के बाढ़ क्षेत्र की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।” निजामुद्दीन ब्रिज, भैरों मार्ग और आश्रम चौक जैसे ट्रैफिक के गढ़ों को राहत देने वाला यह प्रोजेक्ट दिल्ली की सड़कों को नई रफ्तार देगा। एक साल बाद, जब यह कॉरिडोर हकीकत बनेगा, तो यह दिल्ली के ट्रैफिक और पर्यावरण के बीच संतुलन का एक अनोखा नमूना होगा।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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