Delhi MCD : दिल्ली नगर निगम में आज फिर स्थायी समिति के लिए चुनाव होगा। हंगामे के पूरे आसार हैं। बुधवार की रात से शुरू हुआ मतदान का सिलसिला अगले दिन सवेरे तक पूरा नहीं हो सका था। रात भर हंगामा और हाथापाई के बाद कल सवेरे सदन को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब आज फिर दरबार सजेगा। स्थायी समिति के लिए भाजपा फिर से वोटिंग की माग कर रही है।
दिल्ली नगर निगम के मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव होने के बाद बुधवार रात स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव हंगामे के कारण फंस गया था। स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में सदन के अंदर आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों ने एक-दूसरे पर जमकर लात घूंसे चलाए और पानी की बोतलें फेंककर मारीं। मेयर शैली ओबरॉय ने आरोप लगाया है कि भाजपा पार्षदों ने उन पर भी हमला किया। आधी रात तक सदन की कार्यवाही हंगामे के साथ रुर-रुक कर चलती रही।
आप के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी चुनाव हुए बगैर सत्र खत्म नहीं होगा। भले सदन लगातार कई दिनों तक चलता रहे। स्टैंडिंग कमेटी भी आप की ही बनेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों का चुनाव पहली बैठक में ही कराने का आदेश दिया है। हालांकि गुरुवार सुबह भी जब यह हंगामा खत्म नहीं हुआ तो सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दरअसल, मेयर, डिप्टी मेयर के चुनाव में सदस्यों को वोटिंग के दौरान मोबाइल साथ में लेकर जाने की रोक थी। इसका सभी सदस्यों ने पालन भी किया। शांतिपूर्वक ये दोनों चुनाव संपन्न हो गए। लेकिन स्टैंडिंग कमेटी में इसी मोबाइल की अनुमति दे दी गई जिसके बाद ही सारा बवाल शुरू हुआ। इसके बाद मेयर ने एक घंटे के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित करते हुए कहा कि लौटते ही स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव शुरू कराएंगी, लेकिन करीब दो घंटे की देरी के बाद मेयर चेयर पर लौटीं। इस दौरान पार्षदों ने सदन में हनुमान चालीसा का पाठ किया और देशभक्ति के गाने भी गाए। सदन में जय श्रीराम, जय बजरंग बली के जयकारे लगाए गए। भाजपा की पार्षद शिखा राय ने निगम सचिव भगवान सिंह से सवाल किया कि मेयर मैडम अपनी चेयर पर लौट रही हैं, वे दो घंटे से गायब हैं। इसके करीब दस मिनट बाद मेयर चेयर पर लौटीं।
सदन में लौटते ही मेयर ने कहा कि किसी भी सदस्य को स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में बैलेट पेपर पर मुहर नहीं लगानी है, बल्कि अपनी पसंद के प्रत्याशी के लिए बैलेट पेपर पर 1, 2, 3 लिखकर वोटिंग करनी होगी। इसके अलावा यदि किसी भी सदस्य ने बैलेट पेपर पर कुछ और लिखा तो उसका वोट अमान्य हो जाएगा। मेयर ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों का चुनाव डेढ़ घंटे में पूरा होगा और वोटिंग के दौरान मोबाइल लेकर जाने की अनुमति होगी। इसका भाजपा के पार्षदों ने विरोध किया।
भाजपा पार्षदों ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के पार्षद वोट देने के बाद बैलेट पेपर की फोटो खींच रहे हैं और सदन में हंगामा तेज हो गया। मेयर ने सदस्यों से शांति से वोटिंग होने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि जो पार्षद हंगामा करेगा उसे सदन से बाहर कर दिया जाएगा। मेयर ने कहा कि सुबह मोबाइल नहीं लेकर जाने का फैसला किए जाने से न जाने कितने लोगों की मर्यादा आहत हुई, इसलिए उन्होंने मोबाइल लेकर जाने की अनुमति दी है।
निगम सचिव भगवान सिंह ने मेयर को नियम बताए कि वोटिंग के दौरान मोबाइल लेकर जाने की अनुमति नहीं है। इसके बाद मेयर ने मोबाइल लेकर वोटिंग करने से मना कर दिया, तब तक 45 वोट डाले गए थे, लेकिन भाजपा के पार्षदों ने कहा कि पहले जिन पार्षदों ने मोबाइल के साथ जाकर वोटिंग की है, उसे अवैध किया जाए। मेयर ने कहा कि यह संभव नहीं है। पहले जिन पार्षदों को वोट देने के लिए बैलेट पेपर दिए गए हैं, वे वापस कर दें, लेकिन कई पार्षदों के नाम लेकर बैलेट पेपर वापस करने के लिए कहने पर भी पार्षद बैलेट पेपर वापस करने को राजी नहीं थे। रातभर हंगामे के बाद सदन में सुबह भी हंगामा जारी रहा तब मेयर ने कल तक के लिए सदन की कार्यवाही टाल दी।एमसीडी की स्थायी समिति एक वैधानिक समिति है और इसके पास सबसे ज्यादा अधिकार है। समिति ही एमसीडी की सभी नीति व परियोजनाओं को स्वीकृति देती है। इसके अलावा एमसीडी के बजट का खाका भी तैयार करती है। विपक्ष के मजबूत होने से इस बार एमसीडी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को एकतरफा बहुमत मिलना मुश्किल है। भाजपा भी अपने स्तर पर स्थायी समिति में मजबूत होने की कोशिश कर रही है। महापौर और उपमहापौर चुनाव के दौरान भी भाजपा को उससे ज्यादा वोट मिले, जितने उसके वोट हैं।
एमसीडी के सदन के अलावा स्थायी समिति की बैठक में ही आयुक्त व तमाम वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। इसके अलावा आयुक्त की ओर से समिति में सभी परियोजनाओं के प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके अलावा बजट प्रस्तावों के साथ-साथ टैक्स व फीस में बढ़ोतरी के प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए जाते हैं। समिति विभिन्न टैक्स व फीस में छूट देनेे का अधिकार भी रखती है। वहीं बजट में पास किए जाने वाले प्रस्तावों को समिति ही लागू कराती है और समिति के अध्यक्ष अपनी पार्टी के चुनावी वादों को पूरा कराने के प्रस्ताव भी पास करते हैं।
समिति में पास होने वाले नीतिगत निर्णय संबंधी परियोजनाओं के प्रस्ताव सदन में अंतिम स्वीकृति के लिए जाते हैं। सदन में इन प्रस्तावों को हरी झंडी मिलने में दिक्कत नहीं होती, क्योंकि यह सभी परियोजनाएं जनता व एमसीडी के हित से जुड़ी होती हैं, जबकि निर्माण कार्य संबंधी प्रस्ताव पास करने का अधिकार उसके पास ही है। इसके अलावा दिल्ली में तमाम केंद्र, राज्य सरकार के विभागों व अन्य एजेंसियों के भवनों बनाने की योजनाओं के ले-आउट प्लान को हरी झंडी भी समिति ही देती है।
- स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं। इसमें से छह सदस्य सदन से चुने जाते हैं, जबकि 12 वार्ड समितियों से एक-एक सदस्य का चुनाव होता है।
- 18 सदस्यों में एक सदस्य स्थायी समिति का अध्यक्ष बनता है। चुनाव होने की सूरत में उसे दस वोट चाहिए होते हैं।
- सदन में दलीय स्थिति के अनुसार, अभी आप व भाजपा से स्थायी समिति के लिए तीन-तीन सदस्य चुने जा सकते हैं।
- 12 वार्ड समितियों में से पांच-पांच समिति में भाजपा व आप का बहुमत है। दो समितियों में से एक में दोनों का आंकड़ा बराबर है, जबकि दूसरे में जीत की चाबी कांग्रेस के पास है। सदन की तरह अगर कांग्रेस वार्ड समितियों के चुनाव का भी कांग्रेस बहिष्कार करती है तो एक वार्ड समिति में भाजपा का कब्जा संभव है। बची एक वार्ड समिति का गठन पूरी तरह से चुनावी प्रबंधन पर निर्भर है। जो भी दल दूसरे से आगे बढ़कर चुनाव का प्रबंधन कर लेगा, उसके पास यह सीट आ जाएगी।
- अगर दोनों वार्ड समितियां भाजपा के पाले में जाती हैं तो स्थायी समिति पर कब्जा हो सकता है। इसका उलटा होने पर आप के हाथ में कमान आने की संभावना है।
- वार्ड समिति का गणित मनोनीत सदस्य तय कर रहे हैं। पार्षद मनोनीत होने से पहले वार्ड समितियों में आप का पलड़ा भारी था।