देशभर में नशीली दवाओं के मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है. सरकार ने NDPS अधिनियम के तहत दर्ज मामलों और उनके निपटारे के राज्यवार आंकड़े जारी किए हैं, जिनमें निपटारे की दर बेहद कम है.
देशभर में नशे से जुड़े मामले हर रोज सामने आ रहे हैं. लोग कई तरहों से नशे का सेवन कर रहे हैं. यूपी से लेकर केरल तक हर जगह इस तरीके के मामले में बढ़ोतरी देखने को मिली है. कई राज्यों में ये मामले दोगुने तक पहुंच चुके हैं. इस बारे में संसद में लगाए गए सवाल पर सरकार की तरफ से जवाब पेश किया. इसमें राज्यवार आंकड़े पेश किए गए हैं. इनके मुताबिक 100 में से 6 मामलों का ही निपटारा हो सका है.
सरकार की तरफ से मादक पदार्थ तस्करी रोकने हेतु आवंटित और जारी धनराशि का ब्यौरा भी शामिल है. इसके अलावा संसद में एनडीपीएस अधिनियम में संशोधन की योजना पर भी चर्चा की गई, जिससे देश में मादक पदार्थ तस्करी और दुरुपयोग पर लगाम लगाई जा सके.
सरकार ने बताया कि पिछले 5 सालों में NDPS एक्ट के अंतर्गत 14 सब्सटेंस नींद की दवा और 29 पदार्थों को मनोविकारी पदार्थों के तौर पर नोटिफाई किया गया है. 28 प्रोक्यूर केमिकल को भी NDPS अधिनियम की सूची में शामिल किया गया है. ऐसा करने के पीछे की वजह नशीले पदार्थों की तस्करी और दायरे को सीमित किया जा सके.
तस्करी रोकने के लिए बढ़ाया गया बजट
भारत सरकार ने साल 2004 को एक योजना शुरू की थी. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मादक पदार्थों के नियंत्रण हेतु सहायता” यह योजना राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को वित्तपोषित करने के लिए है. ताकि एनडीपीएस की अवैध तस्करी से निपटने के लिए उनकी प्रवर्तन क्षमताओं को मजबूत किया जा सके. इस योजना का क्रियान्वयन गृह मंत्रालय और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की तरफ से किया जाता है. इस योजना का बजट पिछले 5 साल में 50 करोड़ रुपये बढ़ा दिया गया है. ताकि नशीले पदार्थों की तस्करी पर लगाम लगाई जा सके.