जांच में विभिन्न प्रदेशों के 40 विश्वविद्यालयों से जुड़ी 900 से अधिक तैयार मार्कशीट और डिग्रियां बरामद की गई हैं। इनमें मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन संचालित दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की रिक्त मार्कशीट और डिग्रियां भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में पिछले पांच वर्षों से नामांकन की प्रक्रिया बंद है। नैक की शर्तों के चलते नामांकन पर रोक लगी हुई है, बावजूद इसके दलाल बैक डेट में फर्जी डिग्रियां उपलब्ध करवा रहे हैं। आगरा में चल रहा था फर्जी डिग्री का खेल
फर्जी मार्कशीट बनाने का गोरखधंधा आगरा स्थित नोटपैड एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के ऑफिस में संचालित हो रहा था। एसटीएफ इंस्पेक्टर हुकुम सिंह के नेतृत्व में की गई छापेमारी में कंपनी के सीईओ धनेश मिश्रा को गिरफ्तार किया गया है। मौके से दूरस्थ शिक्षा निदेशालय सहित देशभर के निजी विश्वविद्यालयों की 944 तैयार मार्कशीट और 104 खाली मार्कशीट जब्त की गई हैं। फर्जी डिग्री के लिए 20 हजार से ढाई लाख तक वसूली
गिरफ्तार आरोपी धनेश मिश्रा ने खुलासा किया कि वह मांग के अनुसार निजी विश्वविद्यालयों की फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां तैयार करता था। अब तक वह 8,000 से अधिक नकली मार्कशीट और डिग्रियां बना चुका है।
- बी.फार्मा, डी.फार्मा, एमबीए जैसे प्रोफेशनल कोर्स की डिग्रियां 2 से 2.5 लाख रुपये तक बेची जाती थीं।
- बीए और बीकॉम जैसी डिग्रियों के लिए 20 हजार से 50 हजार रुपये तक की मांग की जाती थी।
- अब तक 300 से अधिक युवा फर्जी डिग्री के सहारे सरकारी नौकरी प्राप्त कर चुके हैं।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में नामांकन प्रक्रिया पांच वर्षों से बंद है, फिर भी यहां से फर्जी डिग्रियों का धंधा बदस्तूर जारी है। वर्षों से नकली मार्कशीट और डिग्रियों की अवैध खरीद-फरोख्त होती आ रही है।