किसानों की नाराजगी और बैठक का निर्णय
14 किसान संगठनों के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की एक अहम बैठक भारतीय किसान यूनियन अखंड के कार्यालय (झट्टा-बदोली, सेक्टर 151A, महेश कसाना मार्केट, नोएडा) में हुई। बैठक में 30 दिसंबर 2024 को यमुना एक्सप्रेसवे जीरो पॉइंट पर हुई किसान महापंचायत में किए गए वादों को पूरा न करने पर नाराजगी जताई गई। बैठक में किसानों ने कहा कि पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10% प्लॉट और बढ़ा हुआ मुआवजा मिलना चाहिए। वहीं, नए कानून के तहत अधिग्रहित जमीन के बदले बाजार दर का 4 गुना मुआवजा, 20% प्लॉट, भूमिहीन और भूमिधर किसानों के बच्चों को रोजगार, और आबादी निस्तारण की मांग उठाई गई।प्रशासन के अल्टीमेटम की अनदेखी, 19 मार्च को महापंचायत का ऐलान
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने प्रशासन से 10 मार्च तक वार्ता कराने की मांग की थी, लेकिन तय समय सीमा बीतने के बावजूद प्रशासन और प्राधिकरण ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इस उदासीन रवैये के कारण किसानों में भारी रोष है। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 19 मार्च 2025 को यमुना एक्सप्रेसवे जीरो पॉइंट पर एक विशाल किसान महापंचायत आयोजित कर बड़े आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बयान में कहा गया कि सरकार पूंजीपतियों को विशेष सुविधाएं दे रही है, लेकिन किसानों के संवैधानिक अधिकारों को दबाने का प्रयास कर रही है। SKM ने साफ किया कि अब किसान अपने अधिकारों के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे और सरकार को उनकी मांगें माननी ही होंगी।किसानों की प्रमुख मांगें:
- 10% प्लॉट आवंटन और बढ़ा हुआ मुआवजा (पुराने कानून के तहत प्रभावित किसानों के लिए)
- नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत बाजार दर का 4 गुना मुआवजा और 20% प्लॉट
- भूमिहीन और भूमिधर किसानों के बच्चों को रोजगार
- आबादी क्षेत्रों का निस्तारण और पुनर्वास योजनाएं लागू करना