सरकार ने पहली बार गिग वर्कर्स, प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स और एग्रीगेटर्स को कानूनों में स्पष्ट रूप से शामिल कर दिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि ये सभी श्रमिक अब देश की औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा माने जाएंगे। नए श्रम संहिताओं के तहत सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 लागू करने की घोषणा के साथ मंत्रालय ने बताया कि अब गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स को भी पीएफ, ईएसआईसी, बीमा और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे—जो अब तक केवल संगठित क्षेत्र तक सीमित थे। इसका मतलब यह है कि देश के 80% से अधिक वह श्रमिक, जिन्हें पहले कोई सुरक्षा कवच नहीं मिलता था, अब लाभ के दायरे में आ जाएंगे।
नए लेबर लॉ के अनुसार, उन एग्रीगेटर कंपनियों को जो गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों से काम कराती हैं, अपने वार्षिक टर्नओवर का 1–2% योगदान करना होगा। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह योगदान गिग वर्कर्स को किए जाने वाले कुल भुगतान/देय राशि के 5% से अधिक नहीं हो सकता। यानी कंपनियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ सीमित रहेगा, लेकिन गिग वर्कर्स को पहली बार व्यवस्थित सुरक्षा मिलेगी।
सरकार ने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) की भी घोषणा की है, जिसे आधार से जोड़कर पूरे देश में पोर्टेबल बनाया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि अगर कोई गिग वर्कर दिल्ली से मुंबई या किसी अन्य राज्य में काम बदलता है, तो भी उसका सामाजिक सुरक्षा खाता सक्रिय रहेगा और उसमें जमा राशि सुरक्षित बनी रहेगी।
यह कदम उन लाखों डिलीवरी एजेंट्स, टैक्सी ड्राइवरों और ऐप-आधारित कामगारों के लिए बड़ी राहत है, जो बार-बार प्लेटफ़ॉर्म बदलते हैं या अलग-अलग जगहों पर काम करते हैं।