Report By : Ankit Srivastav, ICN Network
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनिया में बढ़ रहे संघर्षों पर लगाम लगाने के लिए ‘पंचशील सिद्धांत’ का जिक्र किया। शुक्रवार को पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ थी। इस मौके पर शी जिनपिंग ने शांतिपूर्ण सहअस्तित्व (पंचशील) के 5 सिद्धांतों का जिक्र किया। भारत ने शांतिपूर्ण सहअस्तिव के पांच सिद्धांतों को ‘पंचशील’ नाम दिया है। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि पंचशील के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया। उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में बार-बार यह साबित हुआ है कि चुनौतियों का सामना करने और बेहतर भविष्य बनाने का एक प्रभावी तरीका एकता, सहयोग, कम्युनिकेशन और आपसी समझ को बढ़ाना है।जिनपिंग बोले- शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर बना रहेगा चीन जिनपिंग ने इस मौके पर ग्लोबल साउथ में चीन का प्रभाव बढ़ाने पर जोर देने की बात की। उन्होंने ये भी कहा कि शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर बने रहने, सभी देशों के साथ दोस्ती का व्यवहार रखने और दुनिया भर में साझा विकास को बढ़ावा देने के चीन के संकल्प में कोई बदलाव नहीं आएगा। जिनपिंग ने इस मौके पर ग्लोबल साउथ में चीन का प्रभाव बढ़ाने पर जोर देने की बात की। उन्होंने ये भी कहा कि शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर बने रहने, सभी देशों के साथ दोस्ती का व्यवहार रखने और दुनिया भर में साझा विकास को बढ़ावा देने के चीन के संकल्प में कोई बदलाव नहीं आएगा। जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की शुरुआत एशिया में हुई, लेकिन जल्द ही ये विश्व मंच पर छा गए। उन्होंने कहा कि पंचशील ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक ऐतिहासिक घटनाक्रम थी। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि पंचशील सिद्धांत आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय की समान संपत्ति बन चुके हैं। भारत से कोई नहीं हुआ शामिल पंचशील समझौते की वर्षगांठ के मौके पर श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे, गयाना के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड रामोतर समेत चीन के करीबी देशों के नेता और अधिकारी शरीक हुए। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत को भी इसमें शामिल होने का आमंत्रण दिया गया था ,लेकिन कोई अधिकारी इसमें शामिल नहीं हुआ।