Report By- Priya Gupta
संस्कृति रीति रिवाज संस्कार तथा त्योहार से पर पूर्ण हमारे भारत में करवा चौथ भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। करवा चौथ का पर्व पवित्र माना जाता है और यह पर्व कार्तिक चतुर्दशी को मनाया जाता है।
करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। करवा चौथ का त्यौहार एक सुंदर त्यौहार है जो हमारी संस्कृत में अनेक रंगों में से एक है।
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कब मनाया जाएगा करवाचौथ
आपको बता दें कि इस बार करवा चौथ का त्योहार 20 अक्टूबर को पढ़ रहा है चांद निकलने का समय शाम 7 बचकर 54 मिनट का है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखती है और सिंगर कर चंद्रमा की पूजा करती है।
करवा चौथ व्रत कथा
करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे और साथ ही उसकी करवा नाम की एक बेटी थी। करवा चौथ के दिन बेटी ने अपने मायके में आकर अपनी भाभियों के संग व्रत रखा। जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने अपनी बहन को भी भोजन करने के लिए कहा। इस पर करवा ने कहा कि जब तक चांद नहीं निकलेगा तब तक वह भोजन नहीं करेगी। अपनी भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से देखी नहीं गयी।
तब उसके सबसे छोटे भाई ने एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित किया और अपनी बहन से बोला – बहन चांद आ गया है अब अपना उपवास खोल लो। बहन नकली चांद को अर्घ्य देकर भोजन करने के लिए बैठ गई। जैसे ही उसने एक निवाला खाया वैसे ही उसके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद करवा शोकातुर होकर अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और पति के शव पर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई तो उसने फिर से पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसके पति के प्राण वापस आ गए।”