Report By : ICN Network
नोएडा एयरपोर्ट पर विमान संचालन शुरू होने से पहले सुरक्षा व्यवस्था को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को मिनी रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (MROV) का सफल परीक्षण किया गया, जो बम की पहचान करने और उसे निष्क्रिय करने में पूरी तरह सक्षम है।
यह उन्नत स्वदेशी रोबोटिक सिस्टम भारत की सिक्योरिटी डिफेंस सिस्टम कंपनी द्वारा विकसित किया गया है और इसकी मदद से सुरक्षा बल बिना जोखिम उठाए संदिग्ध वस्तुओं की जांच और आपातकालीन परिस्थितियों में तुरंत कार्रवाई कर सकेंगे। पहले चरण में एयरपोर्ट पर छह MROV तैनात किए जाएंगे, जिससे यात्रियों की सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा और रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता को भी बल मिलेगा।
MROV को विशेष रूप से सीमित और जटिल स्थानों जैसे विमान, ट्रेन या मेट्रो में संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। यह रोबोटिक सिस्टम 500 मीटर की दूरी से रिमोट द्वारा संचालित हो सकता है और तीन घंटे तक लगातार काम कर सकता है। इसमें चार-पहिया ड्राइव सिस्टम, हाई-रिजॉल्यूशन नाइट विजन कैमरा, न्यूक्लियर-बायोलॉजिकल-केमिकल (NBC) रेकनाइसेंस सिस्टम, वाटर जेट डिसरप्टर, पोर्टेबल एक्स-रे डिवाइस और शॉट गन जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। इसका रोबोटिक आर्म 2.5 मीटर की दूरी से 20 किलोग्राम और 4 मीटर की दूरी से 9 किलोग्राम तक की वस्तु उठा सकता है।
साथ ही, नोएडा एयरपोर्ट की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) व्यवस्था को साइबर हमलों से सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी अमेरिकी आईटी कंपनी किंड्रिल को सौंपी गई है। यह कंपनी रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, तकनीकी समस्याओं के पूर्वानुमान और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में एयरपोर्ट की तकनीकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
नवीनतम AI-आधारित ओपन इंटीग्रेशन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किसी भी संभावित तकनीकी विफलता या हैकिंग प्रयास का तुरंत समाधान किया जाएगा। किंड्रिल एक ऐसा विशेष आईटी नेटवर्क तैयार कर रही है जो साइबर अपराध, डेटा सेंधमारी और अन्य तकनीकी खतरों का सामना कर सके।
गौरतलब है कि इस रोबोटिक सिस्टम के 90% से अधिक पुर्जे भारत में बने हैं, जो “मेक इन इंडिया” पहल को भी मजबूती प्रदान करता है।