गुरुग्राम निवासी प्रदीप ने आयोग में दायर की याचिका में बताया कि उनके चार साल के बेटे को दिसंबर 2018 को ब्लड कैंसर हुआ था। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे का उपचार एक निजी अस्पताल में कराया था। उपचार में अगस्त 2023 में 19.06 लाख रुपये का खर्चा आया था। उन्होंने याचिका में बताया कि 20 लाख रुपये तक के क्लेम के लिए लाइफस्टाइल इंटरनेशनल बीमा कंपनी ने 5,900 रुपये अतिरिक्त लिए थे लेकिन कंपनी की तरफ से सिर्फ 9.70 लाख रुपये का क्लेम दिया गया था।
कंपनी की तरफ से आयोग में दलील दी गई कि बीमा पॉलिसी के नियमों के अनुसार बच्चे का उपचार नहीं हुआ था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने बीमा कंपनी की गलती मानते हुए आदेश दिया है कि वह 9.36 लाख रुपये नौ प्रतिशत की दर से शिकायतकर्ता को वापस करे। इस राशि पर ब्याज अगस्त 2023 से देना होगा। आयोग ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह शिकायतकर्ता को होने वाली मानसिक रूप से परेशानी पर एक लाख रुपये का मुआवजा और कानूनी प्रक्रिया पर खर्च होने पर 22 हजार रुपये का मुआवजा दे।