Report By : ICN Network
सी रविचंद्रन बनाम जस्टिस एएम भट्टाचार्य और अन्य: सुप्रीम कोर्ट का 1995 का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में सी रविचंद्रन बनाम जस्टिस एएम भट्टाचार्य और अन्य मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। इस फैसले में कहा गया कि अगर किसी हाईकोर्ट के जज के खिलाफ कोई शिकायत होती है, तो उस शिकायत की जांच हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा की जाएगी
फैसले के अनुसार, हाईकोर्ट के जज के खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता को समझने और निष्पक्ष तरीके से मामले की जांच सुनिश्चित करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके तहत हाईकोर्ट के सीजेआई को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह प्राथमिक जांच के बाद मामले की रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को प्रस्तुत करें
यह व्यवस्था न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय में स्पष्ट किया कि न्यायपालिका में उच्च पद पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक ठोस और निष्पक्ष तंत्र का होना आवश्यक है। यह न्यायपालिका की विश्वसनीयता बनाए रखने और आम जनता का विश्वास जीतने के लिए जरूरी है
यह फैसला भारतीय न्यायपालिका की एक मजबूत नींव है, जो यह सुनिश्चित करती है कि न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों को निष्पक्ष तरीके से जांचा जाए। यह न्यायिक प्रणाली के भीतर आत्म-आलोचना और सुधार की प्रक्रिया को दर्शाता है
सी रविचंद्रन बनाम जस्टिस एएम भट्टाचार्य और अन्य मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने न्यायिक जांच और पारदर्शिता के मानकों को और भी अधिक मजबूत किया