• Thu. Nov 21st, 2024

UP-जनपद सोनभद्र के न्यायालय में आज उत्तर प्रदेश में नक्सलवाद को जन्म देने वाले ‘लाल व्रत कोल’ को आजीवन कारावास की सुनाई गई सजा

जनपद सोनभद्र के न्यायालय में आज उत्तर प्रदेश में नक्सलवाद को जन्म देने वाले लाल व्रत कोल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। आपको बता दे की लाल व्रत कोल चंदौली जिला के चकरघट्टा थाना क्षेत्र अंतर्गत झरियावा निवासी बताया जाता है उक्त हार्डकोर नक्सली को 29 में 2012 को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे द्वारा गिरफ्तार किया गया था जिसके ऊपर प्रदेश सरकार से एक लाख का इनाम भी रखा गया था। इसके साथ ही आतंक के पर्याय बने मुन्ना विश्वकर्मा व अजीत कोल की भी गिरफ्तारी हुई थी उनके ऊपर भी दो सिद्ध पाया गया है। उल्लेखनीय है कि हार्डकोर क्रिमिनल लाल व्रत कोल को सोनभद्र की जिला अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। 6 फरवरी को कोर्ट फैसला सुनाएगी। मामले में अभिषेक उर्फ अजीत कोल अज्ञात कारणों से पेश नहीं हो सका। साल 2012 में अलग अलग पुलिस मुठभेड़ में तीन नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था। न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी/ सीएडब्लू की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। नक्सलियों की पेशी के दौरान कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।

सोनभद्र के चोपन थाना क्षेत्र के छिकड़ा के जंगल में 29 मई 2012 को पुलिस मुठभेड़ हुई थी। पहले मुठभेड़ में अजीत उर्फ अभिषेक कोल और मुन्ना विश्वकर्मा की गिरफ्तारी हुई थी। अजीत कोल के पास से करवाईन और मैगजीन बरामद की गई थी एवं मुन्ना विश्वकर्मा के पास से एसएलआर और कारतूस पुलिस ने बरामद किया था। वही इस दौरान दूसरे मुठभेड़ में लाल व्रत कोल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। लाल व्रत कोल के पास से पुलिस ने अत्याधुनिक हथियारों की खेप बरामद की थी दोनों की इसी मामले में पेसी हुई थी।

पांच राज्यों में आतंक का पर्याय बने मुन्ना विश्वकर्मा एवं लाल व्रत कोल को वर्ष 2023 में जिला कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हत्या के दो अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास हुआ था। साथ ही कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया था। 29 मई 2012 में तत्कालीन एसपी सुभाष चंद्र दुबे के नेतृत्व में पुलिस टीम ने चोपन थाना क्षेत्र के कनच गांव के पास हुई मुठभेड़ के दौरान दोनों को गिरफ्तार किया था। तभी से यह जेल में है आपको बता दें कि मुन्ना विश्वकर्मा पर ढाई लाख का इनाम रखा गया था। इसका राज्यों में आतंक था। जिसमे ऊप्र, एमपी, बिहार, झारखंड व छत्तीसगढ़ में आतंक था। इनकी गिरफ्तारी के बाद सोनभद्र में लगभग नक्सलियों का सफाया हो गया था।

पुलिस रिकॉर्ड में कई बार मरकर जिंदा होने वाला नक्सली लाल व्रत कोल था। जिसे उत्तर प्रदेश में नक्सल का जन्मदाता भी कहा जाता है। उक्त नक्सली को कोर्ट ने आज सजा सुनाई है। आपको बता दे की 2001 में पुलिस ने 11 नक्सलियों को मार गिराया था पुलिस ने इस मामले में लाल व्रत कोल को मारे जाने की बात कही थी। 2012 में जब लाल रक्त कोल को गिरफ्तार किया गया तो पता चला कि लाल व्रत मरा नहीं जिंदा है। न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी/ सीएडब्लू की कोर्ट ने आज आईपीसी की धारा 147,148,149 व 307 तथा धारा 7 सीएलए एक्ट के तहत चल रहे मुकदमे में कोर्ट फैसला सुनाया है। हालांकि आजीवन कारावास की सजा के बाद लाल व्रत को लेकर जिलों में चर्चाएं तेज हो गई है।

नक्सलियों के अधिवक्ता रोशन लाल यादव ने बताया कि मुन्ना विश्वकर्मा अजीत कोल व लाल व्रत कोल का अधिवक्ता हु, कोर्ट ने आज आईपीसी की धारा 147, 148, 149 व 307 तथा धारा 7 सीएलए एक्ट के तहत चल रहे मुकदमे में कोर्ट फैसला सुनाया है। कोर्ट ने लाल व्रत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथी अन्य साथियों को भी दोषी सिद्ध पाया गया है। यह मुकदमा 2012 का है और प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने यह फैसला सुनाया है। इसके खिलाफ हम हाई कोर्ट जाएंगे। इनके ऊपर जो आरोप उसके साथ ही पुलिस का कहना है कि लाल व्रत कोल नक्सलवाद के जनक हैं और मुन्ना विश्वकर्मा एवं अजीत कोल कमांडर रहे हैं। अधिवक्ता ने यह भी बताया कि पुलिस हमें आत्मसमर्पण के लिए बुलाई और मुठभेड़ दिखा दिया।

By ICN Network

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *