Report By-Pawan Verma,Shravasti (UP)
यूपी के श्रावस्ती का सीताद्वार जहां माता सीता ने बिताया था समय, लक्ष्मण ने तीर मार कर सीता सरोवर का किया था निर्माण।श्रावस्ती जनपद में स्थित सीता द्वार मंदिर का अपना पौराणिक महत्व है। जहां पर माता सीता ने वाल्मीकि जी के कुटी में निवास किया था और यहीं पर दो पुत्रों का जन्म हुआ था जिनका नाम लव और कुश था। वही भगवान श्री राम के छोड़े गए अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़कर इसी स्थान पर भगवान राम की सेना को लव कुश ने पराजित किया था।
श्रावस्ती जनपद के तहसील इकौना क्षेत्र में स्थित सीता द्वार मंदिर का काफी महत्व है।बताते तो चले की जब भगवान श्री राम ने माता सीता का परित्याग किया था।उस समय भगवान श्री राम के आदेश पर लक्ष्मण ने सीता माता को अयोध्या से करीब 120 किलोमीटर दूर श्रावस्ती के ग्राम पंचायत तड़वा महंत स्थित सीता द्वार में घने जंगल में छोड़ दिया था। कहा जाता है की माता सीता को इस स्थान पर प्यास लगी थी तब लक्ष्मण जी ने तीर मारकर सरोवर का निर्माण किया था।जहां पर अब करीब 900 एकड़ में विशाल झील है।जिसे आज सीता द्वार झील के नाम से जाना जाता है।वही माता सीता को इसी स्थान पर महिर्ष वाल्मीकि जी ने अपनी कुटिया में रहने की जगह दी थी। जहां पर माता सीता ने दो बेटों को जन्म दिया था जिनका नाम लव और कुश है।
आपको बताते चले की सीता द्वार में माता सीता व महिर्ष वाल्मीकि जी का मंदिर है।वही इस मंदिर में पूरे वर्ष पूजा पाठ होता है।वही कहा जाता है कि सीता द्वार झील में 1 महीने तक नहाने से सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। वही कार्तिक पूर्णिमा पर यहाँ तीन दिनों के लिए भव्य मेला लगता है जहां पर श्रावस्ती समेत अन्य कई जिले से भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं।