Report By-Rakesh Giri Basti (UP)
यूपी के बस्ती में आजादी के बाद रामजन्म भूमि आंदोलन को श्रीराम जन्मभूमि का प्रासंगिक इतिहास नाम को किताब ने धार दिया था, 1990 में यह किताब प्रकाशित हुई थी,
इस किताब की लेखिका किरन सिंह जनपद बलरामपुर की रहने वाली थी जो अब शादी के बाद बस्ती के दुबौलिया ब्लॉक में रह रही हैं, पेशे से शिक्षिका किरन सिंह ने कई जिलों के इतिहास और गजेटियर को खंगाल कर पुस्तक लिखी, जिससे राम जन्म से जुड़े आंदोलन को एक धार मिली, किताब में उन्होंने ने त्रेता युग से राजा विक्रमादित्य और मुगल काल से अंग्रेजों के काल तक हुए संघर्ष की कहानी प्रमाण के साथ लोगों तक पहुंचाई, जिसके बाद महाराष्ट्र से लेकर अन्य राज्यों के कारसेवक उनसे मिलने उनके घर गए थे, किताब में त्रेता युग में राम जन्म के साथ द्वापर युग में सूर्यवंश 44 वीं पीढ़ी के बाद महाराजा बृहदल के समय के मंदिर का संस्करण भी दर्ज है।पुस्तक में देवीदयाल पांडे और अमीर अली खान की कहानी भी दर्ज की गई है,
किरन सिंह ने अपनी किताब में लिखा है को बाबर ने तुजुक बाबरी में खुद लिखा है को अकेले देवी दयाल पांडेय ने 700 सैनिकों का वध किया था, धोखे से मीर बाकी ने उनकी हत्या कर दी, 1857 में अमीर अली खान ने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को राजी कर लिया की भगवान राम के पैदाइश की जगह हिंदुओं को सौंप दी जाए, हिंदू और मुसलमान को एक ही मां की दो संतान होने का वास्ता दिया, लेकिन अंग्रेजों ने अमीर अली खान और बाबा राम चरण दास को फांसी पर लटका दिया, इस किताब ने कारसेवकों के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ाने समेत हिंदू मुस्लिम सौहार्द भी कायम रखने में अनूठी सफलता पाई।