यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंची “Colors” के धारावाहिक डोरी मे” ठकुराइन का किरदार निभाने वाली सुधा चंद्रन धारावाहिक डोरी मे ठकुराइन का किरदार निभाने वाली सुधा चंद्रन नवाबों की नगरी लखनऊ पहुंची जहाँ उन्होंने अपनी निजी जीवन और धारावाहिक से जुड़ी तमाम छोटी बड़ी बातें मीडिया से साझा की।
सुधा चंद्रन फिल्मों की एक अभिनेत्री व नतर्की है जिन्होंने दुनिया भर में अपनी प्रतिभा और कला कौशल से लोगों का दिल जीता है। उन्होंने बताया कि, मेरा इंडस्ट्री का सफर बहुत लंबा रहा है। सन 1985 में मैं इंडस्ट्री में आई थी अब हम 2024 में कदम रखने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि, मैंने अपने करियर के दौरान हमेशा सफलता नहीं बल्कि कई बार असफलता का भी सामना किया है। और कई बार तो वो बिना काम के काफी समय तक अपने घर पर बैठी रही। लेकिन एक उम्मीद जो थी। कि हां एक दिन हम कामयाब होंगे। तो वह वक्त आया भी, टेलीविजन के जरिए हमें काम भी मिला। और मैं फिर एक बार कलर्स पर डोरी के साथ कैलाशी ठकुराइन बनाकर आ रही हूं। अक्सर लोग निगेटिव कैरेक्टर को पसंद नहीं करते लेकिन जब-जब मैंने निगेटिव करेक्टर निभाया है लोगों का बहुत प्यार पाया है। 80-90 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस सुधा चंद्रन ने साल 1985 में फिल्म ‘मयूरी’ से सिनेमा की दुनिया में कदम रखा था, सुधा चंद्रन ‘बहुरानियां’, ‘चंद्रकांता’, ‘कभी इधर कभी उधर’, ‘चश्मे बद्दूर’, ‘अंतराल’, ‘कैसे कहूं’, ‘कहीं किसी रोज’, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी, ‘कस्तूरी’, ‘अदालत’ और ‘नागिन’ जैसे कई टीवी शोज में नजर आ चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें ‘कुर्बान’, ‘शोला और शबनम’, ‘हम आपके दिल में रहते हैं’, ‘मालामाल वीकली’ और ‘अनुभव’ का नाम शामिल है। वहीं उन्होंने डोरी धारावाहिक के बारे में बताया कि, इसमें पिता और बेटी के बीच के रिश्ते को बहुत ही सुंदरता के साथ दिखाया है। हमारे समाज में एक बाप बेटी के बीच में जो दीवार खड़ी होती है उसे दीवार को हटाने की और एक बेटी के द्वारा अपने पिता से खुलकर प्रेम जिस तरीके से बेटा अपने पिता से जुड़ा रहता है बेटियों को भी जोड़ने की कोशिश की गई है और हमें लगता है हमारे धारावाहिक को देखने के बाद जो लोग बेटा और बेटी को अलग नजर से देखते हैं। उनके नजरिए में भी बदलाव आएगा। उन्होंने बताया कि इस सीरियल में हमने बनारसी साड़ियों का ही इस्तेमाल किया है बिल्कुल कैरेक्टर को 100% करने के लिए पूरी कोशिश की गई है। लखनऊ से बहुत प्रभावित हुई यहां की बातचीत नजाकत नफासत और लखनऊ के खान-पान लखनऊ का भाईचारा हमने हमेशा से सुना था लेकिन आज देख भी लिया लखनऊ की गंगा जमुना तहज़ीब के क्या कहने।