Report By : ICN Network
उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के एकीकरण के फैसले के खिलाफ जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। कई जिलों में ग्रामीणों, अभिभावकों और छात्रों ने मिलकर सड़कों पर उतरकर इस निर्णय का विरोध किया। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि इस फैसले से गांव के बच्चों की शिक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा, खासकर उन इलाकों में जहां दूर-दूर तक कोई अन्य विद्यालय नहीं है।
प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि सरकार का यह कदम शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की पहुंच को और सीमित कर देगा। कई जगहों पर अभिभावकों ने स्कूलों के बाहर धरना दिया और छात्रों के साथ मिलकर नारेबाजी की। लोगों का कहना है कि पहले से ही सुविधाओं की कमी झेल रहे सरकारी स्कूलों को बंद करना या विलय करना नाइंसाफी है।
स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को पहले स्कूलों में शिक्षकों की कमी, बुनियादी ढांचे और संसाधनों की स्थिति सुधारनी चाहिए, न कि स्कूलों को मिलाकर शिक्षा को और कठिन बनाना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ही इस फैसले को वापस नहीं लिया, तो पूरे राज्य में बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। फिलहाल सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विरोध के स्वर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।