हिस्ट्रीशीटर नकदू के खिलाफ रानी की सराय थाने में मुकदमे दर्ज है. उसने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम में बदलाव कर दिया था. पिछले 35 साल से वह मेहनगर थाने में नौकरी कर रहा था. अब पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में 35 साल से नाम बदलकर होमगार्ड की नौकरी कर रहे हिस्ट्रीशीटर नकदू यादव की पोल खुल गई है। नकदू, जो अब तक खुद को नंदलाल यादव के नाम से पहचान देता था, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 1989 से नौकरी कर रहा था। असलियत सामने आने पर उसे तुरंत सस्पेंड कर दिया गया और रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मामला नकदू के भतीजे नंदलाल की शिकायत के बाद खुला। भतीजे ने डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की थी कि नकदू फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहा है। जांच में खुलासा हुआ कि नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद 1987 में डकैती और 1988 में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई थी। नकदू ने 1989 में होमगार्ड की नौकरी पाने के लिए अपनी पहचान बदल ली और फर्जी कक्षा आठ का प्रमाण पत्र बनवाया। जांच में सामने आया कि नकदू ने 1990 से पहले तक अपने असली नाम का उपयोग किया, लेकिन नौकरी पाने के लिए वह नकदू से नंदलाल बन गया। यह भी पता चला कि रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने उसकी हिस्ट्रीशीट होने के बावजूद 1992 में उसके चरित्र प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे। आजमगढ़ के एसपी हेमराज मीना ने बताया कि नकदू के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नौकरी हासिल करने और पुलिस को चकमा देने का मामला दर्ज किया गया है। विभागीय जांच में यह भी देखा जा रहा है कि इतने वर्षों तक वह पुलिस की नजरों से बचा कैसे रहा। फिलहाल आरोपी जेल में है, और मामले की विस्तृत जांच जारी है
35 साल से नाम बदलकर होमगार्ड की नौकरी कर रहा हिस्ट्रीशीटर पकड़ाया, ऐसे खुली पोल
हिस्ट्रीशीटर नकदू के खिलाफ रानी की सराय थाने में मुकदमे दर्ज है. उसने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम में बदलाव कर दिया था. पिछले 35 साल से वह मेहनगर थाने में नौकरी कर रहा था. अब पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में 35 साल से नाम बदलकर होमगार्ड की नौकरी कर रहे हिस्ट्रीशीटर नकदू यादव की पोल खुल गई है। नकदू, जो अब तक खुद को नंदलाल यादव के नाम से पहचान देता था, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 1989 से नौकरी कर रहा था। असलियत सामने आने पर उसे तुरंत सस्पेंड कर दिया गया और रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मामला नकदू के भतीजे नंदलाल की शिकायत के बाद खुला। भतीजे ने डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की थी कि नकदू फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहा है। जांच में खुलासा हुआ कि नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद 1987 में डकैती और 1988 में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई थी। नकदू ने 1989 में होमगार्ड की नौकरी पाने के लिए अपनी पहचान बदल ली और फर्जी कक्षा आठ का प्रमाण पत्र बनवाया। जांच में सामने आया कि नकदू ने 1990 से पहले तक अपने असली नाम का उपयोग किया, लेकिन नौकरी पाने के लिए वह नकदू से नंदलाल बन गया। यह भी पता चला कि रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने उसकी हिस्ट्रीशीट होने के बावजूद 1992 में उसके चरित्र प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे। आजमगढ़ के एसपी हेमराज मीना ने बताया कि नकदू के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नौकरी हासिल करने और पुलिस को चकमा देने का मामला दर्ज किया गया है। विभागीय जांच में यह भी देखा जा रहा है कि इतने वर्षों तक वह पुलिस की नजरों से बचा कैसे रहा। फिलहाल आरोपी जेल में है, और मामले की विस्तृत जांच जारी है