राजधानी में वायु प्रदूषण बढ़ने की स्थिति में उस पर नियंत्रण के लिए एमसीडी ने अपना विंटर एक्शन प्लान लागू कर दिया है। इस प्लान के तहत उसने अपने सभी 12 जोनों में प्रदूषण के स्रोतों की पहचान, निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई को तेज कर दिया है। उसने 379 निगरानी दल गठित किए गए हैं, जिनमें 1172 अधिकारी शामिल हैं। इन टीमों ने खुले में कचरा जलाने, निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट डंपिंग और सड़कों पर धूल नियंत्रण पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
एमसीडी के विंटर एक्शन प्लान में सबसे अहम पहल 24×7 निगरानी व्यवस्था की है। दिन और रात दो शिफ्टों में अलग-अलग दल काम कर रहे हैं। निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट की निगरानी के लिए 158 दल और 450 कर्मचारी तैनात हैं, जिनमें 77 दल (231 कर्मचारी) दिन में और 81 दल (219 कर्मचारी) रात में सक्रिय हैं। इनका काम निर्माण स्थलों पर धूल रोकने के उपायों की जांच और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ चालान जारी करना है।
खुले में कचरा और जैव अपशिष्ट जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए 221 निगरानी दलों की तैनाती की गई है, जिनमें 722 कर्मचारी शामिल हैं। दिन में 97 दल और रात में 124 दल सक्रिय रहते हैं, जो संवेदनशील इलाकों में नियमित गश्त करते हैं। एमसीडी अधिकारियों के अनुसार, सभी निगरानी दलों को केंद्रीय गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों के अनुपालन के लिए संवेदनशील बनाया गया है।
इसके अलावा ग्रेप के तहत रोजाना की कार्रवाई रिपोर्ट ग्रीन वार रूम को भेजी जा रही है, जिसे बाद में आयोग के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। एमसीडी ने कहा कि विंटर एक्शन प्लान केवल निगरानी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सड़क धूल नियंत्रण, यांत्रिक सफाई, सीएंडडी अपशिष्ट का समयबद्ध निस्तारण और अवैध जलाने पर दंडात्मक कार्रवाई जैसी कई पहल शामिल हैं।
एमसीडी के अधिकारियों ने यह भी बताया कि सर्दी बढ़ने के साथ रेड अलर्ट चरण में विशेष गश्ती अभियान और स्थानीय वार्ड स्तर पर निरीक्षण ड्राइव को और तेज किया जाएगा। दूसरी ओर एमसीडी ने नागरिकों से अपीप करनी शुरू की है कि वे प्रदूषण फैलाने वाली किसी भी गतिविधि की सूचना तुरंत उसके कंट्रोल रूम या मोबाइल एप्प के माध्यम से दें, ताकि सर्दियों में वायु प्रदूषण को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सके।