Report By : ICN Network
नोएडा में हाल ही में सामने आए ₹100 करोड़ के बीमा घोटाले ने पूरे देश को चौंका दिया है। यह घोटाला बेहद संगठित तरीके से अंजाम दिया गया, जिसमें देशभर के 12 राज्यों तक फैले नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया। इस पूरे रैकेट का खुलासा संभल पुलिस की सतर्कता के कारण हुआ, जब एक वाहन को चेकिंग के दौरान रोका गया और उसमें भारी मात्रा में नकदी, पैन कार्ड, डेबिट कार्ड और जाली दस्तावेज बरामद हुए।
यह गिरोह गरीब, गंभीर रूप से बीमार या बुजुर्ग व्यक्तियों को पहचानकर उनके नाम पर बीमा पॉलिसी जारी करवाता था। पॉलिसी का प्रीमियम खुद गिरोह के लोग चुकाते थे। बीमा जारी होने के बाद, कुछ मामलों में उन व्यक्तियों की प्राकृतिक मृत्यु को सड़क दुर्घटना जैसी परिस्थितियों में तब्दील कर दिया जाता था, तो कुछ मामलों में उनकी हत्या कर दी जाती थी। बाद में, बीमा राशि का दावा मृतक के नाम पर खड़े किए गए फर्जी नॉमिनी या परिवार के सदस्य करते थे। इसके लिए अस्पतालों, बैंकों, बीमा कंपनियों और यहां तक कि स्थानीय प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों की मदद ली जाती थी।
जांच के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें निर्दोष लोगों की हत्या केवल बीमा राशि हड़पने के लिए की गई। उदाहरण के तौर पर, बदायूं के दरियाब नामक व्यक्ति को सड़क दुर्घटना में मरा दिखाया गया, जबकि उसकी हत्या हथौड़े से वार कर की गई थी। उनके नाम पर ₹50 लाख की बीमा पॉलिसी ली गई थी। इसी तरह इस्लामनगर के संजय की हत्या उनके ही छोटे भाई ने ₹95 लाख की बीमा राशि के लिए कर दी। दिल्ली निवासी अमन कुमार की हत्या उनके मामा ने ₹2.70 करोड़ की बीमा राशि के लिए अमरोहा में की थी। मोहम्मद सलीम का मामला भी इसी तरह सामने आया, जिसे पहले अमन की हत्या की जांच के दौरान उजागर किया गया।
इस बीमा घोटाले में न केवल निजी बीमा कंपनियों को चूना लगाया गया, बल्कि इसमें केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (PMJAY) जैसी योजनाओं का भी गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। इन योजनाओं के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाकर बीमा करवाए गए और बाद में जाली दस्तावेजों से दावा किया गया।
अब तक इस मामले में 15 प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जा चुकी हैं। 40 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और तीन ने अदालत में आत्मसमर्पण किया है। बुलंदशहर के दो बैंक कर्मचारियों समेत, ‘ईस्ट इंडिया इन्वेस्टिगेशन कंपनी’ के मालिक शैलेन्द्र को भी गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से सैकड़ों की संख्या में फर्जी आईडी, पॉलिसी दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य बरामद हुए हैं।
इस बहु-राज्यीय बीमा घोटाले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच शुरू कर दी है। जांच में संदेह है कि कई बैंकों और बीमा कंपनियों के अधिकारियों की इसमें संलिप्तता हो सकती है। वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया है कि किस प्रकार जाली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिससे इस घोटाले को अंजाम देने में मदद मिली।
नोएडा से सामने आया यह बीमा घोटाला सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि इसमें इंसानी जानों की कीमत पर लाभ कमाया गया है। यह दर्शाता है कि किस हद तक लालच इंसान को क्रूर बना सकता है। फिलहाल पुलिस और जांच एजेंसियां इस रैकेट की परतें खोलने में जुटी हैं और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही पूरे नेटवर्क को खत्म कर न्याय की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।