• Tue. Dec 2nd, 2025

दिल्ली की लोअर ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार के आरोप तेज, स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर बार सदस्यों ने PM और CJI को भेजा पत्र

दिल्ली की विभिन्न बार एसोसिएशनों के सदस्यों ने निचली अदालतों में बढ़ते भ्रष्टाचार पर गंभीर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और दिल्ली हाई कोर्ट के कई न्यायाधीशों को एक औपचारिक पत्र भेजा है। वकीलों ने मांग की है कि जिला न्यायपालिका में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए।

पूर्व बार प्रतिनिधियों ने बताया कि 5 नवंबर 2025 को कानूनी समुदाय में एक गुमनाम पत्र प्रसारित हुआ, जिसमें कई न्यायिक अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। उनका कहना है कि पत्र के बिना हस्ताक्षर होने के बावजूद उसमें दर्ज कई तथ्य और उदाहरण लंबे समय से वकीलों के बीच चर्चा में रहे हैं, इसलिए इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

वकीलों ने आरोप लगाया है कि दिल्ली की जिला न्यायपालिका में भ्रष्टाचार गहराते स्तर पर पहुंच चुका है, लेकिन कोई स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र न होने और अवमानना का डर होने के कारण वकील खुलकर शिकायतें दर्ज नहीं करा पाते। बार सदस्यों का कहना है कि हाई कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना किसी न्यायिक अधिकारी पर कार्रवाई सम्भव नहीं होती, जिससे संदिग्ध गतिविधियों पर रोक नहीं लग पाती।

पत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े विवाद का भी उल्लेख किया गया है। वकीलों के अनुसार, ऐसे मामलों पर चुप्पी साधने से गलत तत्वों को और हिम्मत मिलती है। उन्होंने यह भी कहा कि कई मामलों में बड़ी धनराशि बरामद होने के बावजूद संबंधित अधिकारियों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई और कुछ अधिकारी वर्षों से वेतन लेते हुए भी न्यायिक कार्य नहीं कर रहे हैं।

बार सदस्यों ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक सशक्त तंत्र बनाने की मांग की है, जिसमें आवश्यकता पड़ने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 को न्यायाधीशों पर भी लागू करने की व्यवस्था शामिल हो। पत्र में यह स्पष्ट कहा गया है कि प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बिना ऐसा तंत्र विकसित करना कठिन होगा, क्योंकि अब तक यह अधिनियम सिर्फ अत्यंत अपवाद परिस्थितियों में ही न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ लागू हुआ है।

यह संयुक्त पत्र दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला सहित कई पूर्व बार प्रमुखों और पदाधिकारियों ने हस्ताक्षरित किया है। इसकी एक प्रति दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय को भी भेजी गई है।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *