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UP-बस्ती में बंजर भूमि पर शिक्षा की ज्योति जला रहा यूपी का यह आईएएस ऑफिसर

यूपी के बस्ती में आज के समय में ज्यादा तर लोगों का रुझान प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ रहा है, लोग अपनी लंम्बे समय से खाली पड़ी जमीनों पर खेती कर मोटी कमाई कर रहे है लेकिन दुनिया कुछ ऐसे भी लोग है जो अपनी खाली पड़ी करोड़ो की जमीन पर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया, जी हम बात कर रहे है रिटायर्ड आई ए एस नारायण सिंह ओम नारायण सिंह की जिन्होंने अपनी खाली पड़ी बंजर जमीन पर अपनी माँ के नाम से कर्मा देवी शैक्षिक समूह की स्थापना की, जहां UKG से पीजी तक की शिक्षा दी जा रही है। समूह द्वारा एक ही कैम्पस में इंटर कॉलेज, डिर्गी कॉलेज,फार्मेसी, बीएड, बीटीसी और नर्सिंग व सामुदायिक रेडियो का संचालन किया जा रहा है।

जिले में एक ही प्रांगण में एक साथ कई कालेज स्थापित कर जिले को शिक्षा जगत में बढ़ावा दिया है, एक स्थान पर अलग अलग कोर्स के कॉलेज होने से बस्ती जैसे छोटे शहर में बच्चों को काफी सुविधा होने लगी। कुछ बच्चे पैसे के अभाव व इस प्रकार के कॉलेज दूर होने के कारण ऐसे कोर्स से वंचित रह जाते थे, लेकिन अब बच्चों को दिक्कत नहीं होती वह अपने गांव व घर से अपने च्वॉइस के अनुसार किसी भी कोर्स की पढ़ाई कर सकते है इस तरह उन्होंने बंजर जमीन पर शिक्षा की ज्योति जलाई है।
आपको बता दे रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर नारायण सिंह की पैदाइश 01 जुलाई 1957 बस्ती जिले के रानीपुर बेलाड़ी में हुआ,उनकी पहली पोस्टिंग 1985 में डिप्टी कलेक्टर फैजाबाद के रूप में पहली जनवरी से उसके बाद मीरजापुर, इटावा, बरेली, कानपुर, आगरा, उन्नाव, मुरादाबाद के साथ प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य किया, वह गोरखपुर व पीलीभीत में जिलाधिकारी के पद भी तैनात रहें। गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए आईएएस ओम नारायण सिंह इस समय उत्तर प्रदेश नगरपालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के सदस्य है, प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का सदस्य बनाकर एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है।

ओम जी का कहना है शिक्षा हर किसी को जरूरी है जो पढ़ाई करेगा वही आगे बढ़ेगा उन्होंने बताया की हमरा जिला बस्ती एक पिछड़ा जिला है यहा के लोग मेहनत कश और किसान है जब मैं रिटायर्ड हुआ तो सोचा की क्यों न अपने जिले में कुछ ऐसा कार्य करे जिससे वहा के लोगो को फायदा हो और मेरे दिमाग मे आया की शिक्षा का मंदिर क्यों न स्थातपित किया जाए क्योंकि मै जानता था जब इस इस जिले में रहने बच्चे बाहर जा कर पढ़ाई करते है तो क्या क्या दिक्कतें आती है इस लिए मैंने ठाना की हम अपने गांव में एक शिक्षा का ऐसा मंदिर स्थापित करेंगे जिससे सभी लोग उसका लाभ लेकर अपने परिवार गांव के साथ साथ अपने देश का भी नाम करें इस लिए मैंने अपने माँ कर्मा देवी को समर्पित कर उनके नाम से कर्मा कॉलेज खोला, यह कार्य मैंने आपने मातृभूमि की सेवा के लिए किया है।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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