Report By : ICN Network
दिल्ली सरकार ने राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण और जल संकट से निपटने के लिए एक नई पहल की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) के पांच परीक्षणों को मंजूरी दी गई। इन परीक्षणों का उद्देश्य प्रदूषण स्तर को कम करना और वर्षा की संभावनाओं का मूल्यांकन करना है।
प्रत्येक परीक्षण पर ₹55 लाख खर्च होंगे, जिससे कुल लागत ₹2.75 करोड़ होगी। इसके अतिरिक्त, एक बार की सेटअप लागत ₹66 लाख निर्धारित की गई है, जिसमें विमान की तैयारी, रसायनों का भंडारण और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं शामिल हैं। इस प्रकार, कुल परियोजना लागत ₹3.21 करोड़ होगी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर को इस परियोजना का कार्यान्वयन और मूल्यांकन जिम्मा सौंपा गया है। संस्थान परीक्षणों की योजना, विमान तैनाती, रासायनिक छिड़काव और संचालन संबंधी सभी पहलुओं की देखरेख करेगा। दिल्ली सरकार परियोजना के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता सीधे IIT कानपुर को प्रदान करेगी।
पहला परीक्षण मई के अंत या जून में दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में किया जाएगा, यदि सभी आवश्यक अनुमतियां प्राप्त हो जाती हैं। परीक्षण के बाद वैज्ञानिक मूल्यांकन किए जाएंगे ताकि क्लाउड सीडिंग की प्रभावशीलता और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जा सके।
यह पहल दिल्ली सरकार की प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें कृत्रिम वर्षा जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि क्लाउड सीडिंग एक अस्थायी उपाय है और दीर्घकालिक समाधान के लिए अन्य उपायों की आवश्यकता है।