• Sat. Dec 14th, 2024

Good News: कैदी बने रेडियो जॉकी, गाजियाबाद के डासना जेल में गुंजी कैदियों की सुरीली आवाज, आप भी देखें यह शानदार वीडियो

 

Good News: गाजियाबाद की डासना जेल में मनोरंजन का ध्यान रखते हुए जेल प्रशासन ने एक अनोखी पहल शुरू की है। जेल प्रशासन ने 2019 में रेडियो जॉकी की शुरुआत की थी। जिसके बाद जेल परिसर कि कुछ बैरक और क्षेत्र के अंतर्गत ही इसे स्थापित किया गया था। अब जेल प्रशासन ने इसका जीर्णोद्धार के साथ आधुनिकरण कर दिया है। इसके लिए अलग से रेडियो जॉकी का एक साउंडप्रूफ दीवार के साथ स्टूडियो बनाया गया है

और अब हर बैरक के अलावा जेल के कोने-कोने में इसकी आवाज गुंज रही है। अब रेडियो जॉकी का विस्तार कर दिया गया है। रेडियो जॉकी स्टूडियों में अब उन बंदियों को भी अवसर दिया जाने लगा है, जो कैदी गाना गाने या कहानी, कविता सुनाने में रुचि रखते हैं।

वहीं जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह का कहना है कि डासना जेल में कुल 5,500  कैदी हैं। इनमें 200 महिला और 5300 पुरुष के अलावा 18 साल से 21 साल की उम्र के बड़े किशोर भी हैं। इन सभी को किसी तरह की सूचना देने के लिए जेलकर्मी को ही हर बैरक में जाना होता था। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के उद्देश्य से 2019 में जेल परिसर में रेडियो जॉकी की शुरुआत की गई थी और उसी के माध्यम से बंदियों को किसी भी तरह की सूचना देना और बंदियों को तनाव से मुक्त रखने के उद्देश्य से उनके मनोरंजन की भी शुरुआत की गई।

पहले मनोरंजन के लिए अन्य प्रक्रिया अपनाई जाती थी और जेल के हर कोने या बैरक में रेडियो जॉकी की आवाज सुनाई नहीं देती थी। अब एचसीएल कंपनी के आधुनिक उपकरणों के साथ पूर्व आईपीएस किरण बेदी की संस्था इंडिया विजन के साथ मिलकर इसका आधुनिकरण करते हुए साउंडप्रूफ दीवार के साथ बड़ा स्टूडियो तैयार किया गया है।

जेल अधीक्षक ने बताया कि पहले अन्य प्रक्रिया के तहत रेडियो जॉकी का इस्तेमाल किया जाता था। अब जेल में ही बंद कुछ ऐसे बंदियों को भी रेडियो जॉकी स्टूडियो में जाने का अवसर दिया जाने लगा है। उन्होंने बताया कि रेडियो जॉकी की शुरुआत सुबह 6 से 8 बजे तक भजन और मंत्रों से होती है। इसके अलावा दोपहर को बंदियों के लिए मनोरंजन के लिए 2 घंटे फिल्मी गाने, कविता और कहानी को प्रसारित किया जाता है और शाम के वक्त रेडियो जॉकी के माध्यम से आरती भी चलाई जाती हैं।

यह भी पढ़ें : Republic Day के मौके पर इस बार कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेंगी पंजाब की झांकी, tweet के जरिए मिली जानकारी

जेल अधीक्षक ने बताया कि जब से रेडियो जॉकी की स्थापना हुई तो बंदियों तक किसी भी सूचना को पहुंचाने और उन्हें तनाव मुक्त किए जाने का उद्देश्य सफल प्रयोग साबित हो रहा है। अब आधुनिकरण के बाद और बंदियों को रेडियो जॉकी पर आने का अवसर दिए जाने के बाद वास्तव में सभी बंदी तनाव मुक्त महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि फिलहाल इस आधुनिक रेडियो जॉकी स्टूडियो में जेल में ही करीब एक साल से बंद दिनेश और शम्भू को गाना गाने और कहानी सुनाने का मौका दिया गया है। फिलहाल दोनों ही रेडियो जॉकी पर जेल के सभी बंदियों को कहानी और गाने सुनाते हैं। जेल अधीक्षक का कहना है कि रेडियो जॉकी के द्वारा प्रसारित किए जाने वाली कविता, कहानी, गाने और आरती और मंत्र को सुनकर सभी बंदी बहुत अच्छा महसूस करते हैं। इतना ही नहीं कुछ बंदियों की अपनी फरमाइश भी होती है, जिसे वह रेडियो जॉकी तक पहुंचाते हैं और उनकी फरमाइश के मुताबिक भी कहानी, कविता और गाने प्रसारित किए जाते हैं।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *