शास्त्रों के अनुसार इस अनूठी होली खेलने के पीछे परंपरा है कि जब भगवान शिव मां पार्वती का गौना करवाकर काशी पहुंचे थे तो उन्होंने अपने गणों के साथ यहां होली खेली थी। इस दौरान श्मशान पर बसने वाले भूत-प्रेत, पिशाच और अघोरी होली नहीं खेल पाए थे।इसीलिए परंपरा है कि रंगभरी एकादशी से शुरू होने वाले 5 दिवसीय होली उत्सव की अगली कड़ी में भगवान महादेव इनके साथ चिता-भस्म की होली खेलने श्मशान पर आते हैं। महाश्मशान पर खेली जाने वाली होली की शुरुआत यहां स्थित हरिशचंद्र घाट पर महाश्मशान नाथ की आरती से होती है। इसके पूर्व धूमधाम से नगर में शोभायात्रा भी निकाली जाती है। इस अनूठे आयोजन को कराने वाले डोम राजा परिवार के पवन चौधरी ने बताया कि यह सदियों पुरानी परंपरा चली आ रही है।ऐसी मान्यता है और इसी रीत के बाद से होली की शुरुआत हो जाती है। शिव जी की शोभायात्रा कीनाराम आश्रम से निकलकर महाश्मशान हरिश्चंद्र घाट पर पहुंचती है।उनकी पूजा और आरती होती है।इसके बाद बाबा अपने गणों के साथ चिताभस्म की होली खेलते हैं।अगले वर्ष पीएम मोदी और सीएम योगी को भी यहां आमंत्रित किया गया है।
Holi 2023: बनारस के महाश्मशान पर महाकाल के भक्तों ने खेली ”भस्म की होली”

शास्त्रों के अनुसार इस अनूठी होली खेलने के पीछे परंपरा है कि जब भगवान शिव मां पार्वती का गौना करवाकर काशी पहुंचे थे तो उन्होंने अपने गणों के साथ यहां होली खेली थी। इस दौरान श्मशान पर बसने वाले भूत-प्रेत, पिशाच और अघोरी होली नहीं खेल पाए थे।इसीलिए परंपरा है कि रंगभरी एकादशी से शुरू होने वाले 5 दिवसीय होली उत्सव की अगली कड़ी में भगवान महादेव इनके साथ चिता-भस्म की होली खेलने श्मशान पर आते हैं। महाश्मशान पर खेली जाने वाली होली की शुरुआत यहां स्थित हरिशचंद्र घाट पर महाश्मशान नाथ की आरती से होती है। इसके पूर्व धूमधाम से नगर में शोभायात्रा भी निकाली जाती है। इस अनूठे आयोजन को कराने वाले डोम राजा परिवार के पवन चौधरी ने बताया कि यह सदियों पुरानी परंपरा चली आ रही है।ऐसी मान्यता है और इसी रीत के बाद से होली की शुरुआत हो जाती है। शिव जी की शोभायात्रा कीनाराम आश्रम से निकलकर महाश्मशान हरिश्चंद्र घाट पर पहुंचती है।उनकी पूजा और आरती होती है।इसके बाद बाबा अपने गणों के साथ चिताभस्म की होली खेलते हैं।अगले वर्ष पीएम मोदी और सीएम योगी को भी यहां आमंत्रित किया गया है।