यूपी के कौशाम्बी जनपद के एक शिक्षक की दोनों आंखें नहीं है उसके बावजूद वह क्लास में बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर मैथ लगाना सिखाते हैं। इतना ही नहीं शिक्षक ने बिना आंखों के ही आदत अर्जन से अधिक डिग्रियां पर लिखकर हासिल की और आज अध्यापन का कार्य करते हुए एक विश्व विद्यालय से पीएचडी भी कर रहे हैं।इनके साहस और जज्बे को क्षेत्र के लोग सलाम करते हैं तो वहीं दिव्यांगों के लिए यह प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
कौशाम्बी के सिराथू तहसील क्षेत्र के कड़ा ब्लाक अंतर्गत डोरमा जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत राजकुमार सिंह बताते हैं कि 1994 में जब वह कक्षा 12 में पढ़ रहे थे तभी दीपावली के पर्व पर पटाखे से उनकी दोनों आंखें खराब हो गई थी उसके बाद उन्होंने अपनी 12वीं की परीक्षा एक राइटर की मदद से दी और फर्स्ट डिवीजन पास हुए।उसके बाद वह बताते हैं कि उन्होंने देहरादून से ब्रेन लिपि सीखा उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने ग्रेजुएशन किया फिर उन्होंने जगतगुरु भद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय से MA और B.Ed किया। इस दौरान उनकी नौकरी लग गई और वह अध्यापन का कार्य करने लगे। लेकिन उन्होंने अभी भी पढ़ाई करनी बंद नहीं की और श्री रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय से वह पीएचडी अभी भी कर रहे हैं। आमतौर पर जैसे सभी अध्यापक ब्लैक बोर्ड पर लिखकर बच्चों को समझते हैं और पढ़ते हैं ठीक वैसे ही राजकुमार सिंह भी बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं उनके इस साहस और जज्बे को क्षेत्र के लोग सलाम करते हैं और दिव्यांग उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत और आइडियल मानते हैं।