Report By-Sayed Tariq Ahmad Bahraich(UP)
यूपी का बहराइच कभी आपने बिन दूल्हे की बारात के बारे में सुना है और वो भी एक नही सैकड़ों बराते एक ही रात में जी हा आती है बिन दूल्हे की सैकड़ों बारातें।उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बनी 1026 साल पुरानी सय्यद सालार मसूद गाज़ी की दरगाह है,यहां हर साल जेठ मेले के पहले रविवार को पूरे देश से लगभग 350 से भी ज्यादा बिन दूल्हे की बारातें हिंदू मुस्लिम हर धर्म के लोग ले कर आते है, बारात वाली रात लगभग 15 लाख लोग मेले में आते है,सुरक्षा के लिए अस्थाई पुलिस चौकी के साथ भारी पुलिस बल मेले की व्यवस्था में लगा रहता है,जेठ मेला पूरे 1 महीने तक चलता है इस दरगाह पर हिंदू मुस्लिम सभी धर्मो के लोग मन्नत मांगने आते है।
इसीलिए इसे हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक भी लोग मानते है, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश की देख रेख़ में एक प्रबंध सिमिती भी काम करती है जो दरगाह के सारे इंतजाम और दरगाह की देख भाल रख रखाव करती है।
देश के विभिन्न प्रांतों से लगभग साढ़े तीन सौ बारातें हर वर्ष जेठ मेले में बैंड बाजे के साथ इस दरगाह में आती है,जिसमे बहुत सी बारातें पैदल चल कर भी आती है।और सभी बरातों में दूल्हा नही होता है,बिना दूल्हे की बारात आने के बारे में कहा जाता है के बाराबंकी के एक नवाब की बेटी जोहरा बीबी जिनकी दोनो आंखों में रोशनी नहीं थी उनके घर के लोग इस दरगाह का नाम सुनकर उन्हें यहां लाए और वो यहीं की हो कर रह गई,और फिर उनकी आंखों में जब रौशनी आई तो उन्होंने यहीं रहने का फैसला लेलिया,जिसके बाद उनके घर से जिंदगी के गुज़र बसर के लिए खादिम के साथ जहेज़ का समान भेजा था ,तभी से बहराइच की इस दरगाह पर बिन दूल्हे की बारात लाने का सिलसिला शुरू होगया और आज तक ये परंपरा चली आ रही है।दरगाह प्रबंध सिमिति के सदस्य अब्दुर्रहमान उर्फ बच्चे भारती ने बताया के ये दरगाह बहुत ही प्रसिद्ध दरगाह है यहां पर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मो के लोग अपनी श्रद्धा से आते है और जेठ मेले में सय्यद सलार मसूद गाज़ी की दरगाह पर एक महीने का मेला लगता है जिसमे साढ़े तीन सौ से ज्यादा बिन दूल्हे की बारातें पूरे देश से आती है,श्रद्धालु बैड बाजे के साथ बारात ले कर आते है ,जिसमे पंद्रह लाख लोगो का मजमा होता है।