Report By-Susheel Nayak Jalaun (UP)
यूपी के जालौन जनपद में एक ऐसा स्थान है जो दुनिया भर में अनूठा है। यहां स्थित पंचनद पर 5 नदियों का संगम होता है। यह भौगोलिक के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक द्दष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। जालौन जिले के उरई मुख्यालय से 65 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में तथा इटावा से 55 किलोमीटर दक्षिण पूर्व एवं औरैया से 45 किलोमीटर पश्चिम दक्षिण में स्थित प्राकृतिक सौन्दर्यता से परिपूर्ण अछ्वुत स्थल है ‘‘ पंचनद”। अनेक ऐतिहासिक पौराणिक मंदिरों का रमणीक स्थल है।
विभिन्न ग्रन्थों व पुराणों में पंचनद स्थल का वर्णन है लेकिन दुर्गम वनों के बीच स्थित होने के कारण सुगमता के अभाव में यह स्थान वह प्रसिद्धि नहीं पा पाया जो इसे मिलनी चाहिए थी। यहां यमुना नदी में चंबल, सिंध, कुवांरी और पहूज नदियां अपना अस्तित्व विलीन कर यमुनामयी हो जाती हैं । यह स्थान तीन जनपद जालौन ,इटावा और औरैया की भागौलिक सीमा भी बनाता है वही मध्य प्रदेश के भिंड जिले का थोड़ा सा भूभाग भी इस संगम का हिस्सेदार है। पंचपद संगम स्थल पर बने मंदिर की समिति पंचनद समिति के सदस्य डॉ़ आर के मिश्रा ने यूनीवार्ता के साथ शनिवार को खास बातचीत में बताया कि पंचनद संगम के आग्नेय दिशा तट पर बना प्राचीन मठ वर्तमान में सिद्ध संत श्री मुकुंद वन (बाबा साहब महाराज) की तपोस्थली के रूप में विख्यात है।पंचनद का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं श्रीमद् देवी भागवत पुराण के पंचम स्कंध के अध्याय दो मे श्लोक क्रमांक 18 से 22 तक पंचनद का आख्यान आया है जिसमें महिषासुर के पिता रम्भ तथा चाचा करम्भ ने पुत्र प्राप्ति के लिए पंचनद पर आकर तपस्या की । करम्भ ने पंचनद के पवित्र जल में बैठकर अनेक वर्ष तक तप किया तो रम्भ ने दूध वाले वृक्ष के नीचे पंचाग्नि का सेवन किया । इंद्र ने ग्राह्य (मगरमच्छ) का रूप धारण कर तपस्यारत करम्भ का वध कर दिया। द्वापर युग में महाभारत युद्ध के दौरान पंचनद के निवासियों ने दुर्योधन की सेना का पक्ष लिया था महाभारत पुराण में पंचनद का उल्लेख है। महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद पांडू पुत्र नकुल ने पंचनद क्षेत्र पर आक्रमण कर यहां के निवासियों पर विजय प्राप्त की थी। महाभारत वन पर्व में पंचनद को तीर्थ क्षेत्र होने की मान्यता सिद्ध होती है। विष्णु पुराण में भी पंचनद का विवरण मिलता है जिसमें भगवान श्री कृष्ण के स्वर्गारोहण व द्वारका के समुद्र में डूब जाने के उपरान्त अर्जुन द्वारा द्वारका वासियों को पंचनद क्षेत्र में बसाए जाने का उल्लेख है।
वही पंचनद को लेकर बरिष्ठ इतिहासकार के पी सिंह का कहना है कि पंचनद वैदिक काल से ही एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है यह स्थान आयुर्वेद के शोध का केंद्र रहा है यहां पर अत्रि जैसे ऋषि के द्वारा आयुर्वेद के बड़े शोध किये गए यह पूरे विश्व मे अकेला ऐसा स्थान है जहाँ पर 5 नदियां मिलती है हालांकि इस स्थान को प्रयागराज जैसी पहिचान नही मिली है लेकिन यह प्रयागराज से कई गुना ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान है यहां पर कोई सड़क मार्ग न होने की बजह से लोग यहां तक नही पहुँच पाते थे हालाकि अब सरकार ने इस जगह को महत्व देना शुरू कर दिया है और करोड़ो के बजट से यहां एक बाँध बनाया जा रहा है और सड़क मार्ग को भी सुगम बनाने का कार्य किया जा रहा है जिससे इस स्थान को देश दुनिया मे एक अलग पहिचान बन सके।