Report By : Ankit Srivastav, ICN Network
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे हैं। लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है। ‘तानाशाही नहीं चलेगी, ‘मणिपुर-मणिपुर’ और ‘न्याय दो-न्याय दो’ के नारे लग रहे हैं।
पीएम को इस दौरान दो बार अपना भाषण रोकना पड़ा। स्पीकर ने विपक्ष को दो बार ऐसा नहीं करने की नसीहत दी। स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि ये ठीक नहीं है, लेकिन विपक्ष के सांसद सुनने को तैयार नहीं हैं।
पीएम ने कहा- ‘हमने दुनिया को दिखा दिया कि ये विश्व का सबसे बड़ा चुनावी अभियान था। देश की जनता ने दुनिया के सबसे बड़े चुनावी अभियान ने हमें चुना है। मैं कुछ लोगों की पीड़ा समझ सकता हूं कि लगातार झूठ चलाने के बावजूद उनकी घोर पराजय हुई।इससे पहले पीएम के संसद पहुंचने पर एनडीए के सांसदों ने मोदी-मोदी के नारों से उनका स्वागत किया।
मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस ने संविधान को लेकर हमेशा झूठ बोला है। मैं नम्रतापूर्वक सच्चाई रखना चाहता हूं। आपातकाल का ये 50वां साल है। सत्ता के लोभ के खातिर, तामसिक मानसिकता के चलते इमरजेंसी थोपी गई। इसमें कांग्रेस क्रूरता की सभी हदें पार गई। सरकारें गिराना, मीडिया को दबाना, हर काम में संविधान की धारा, भावना और हर शब्द के खिलाफ काम किया।
पीएम ने कहा, ‘इन्होंने देश के दलितों-पिछड़ों के साथ अन्याय किया है। इसी कारण बाबा साहेब अंबेडकर ने दलित विरोधी, पिछड़ाविरोधी मानसिकता के चलते नेहरू जी के कैबिनेट से इस्तीफा दिया। अंबेडकर के इस्तीफे के बाद नेहरू जी ने उनका राजनीतिक जीवन खत्म करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। अंबेडकर जी को चुनाव हरवाया गया। नेहरू जी ने बाबा साहेब अंबेडकर की हार का जश्न मनाया।’
मोदी ने कहा, ‘बाबा साहेब की तरह ही बाबू जगजीवन राम को भी उनका हक नहीं दिया गया। इमरजेंसी के बाद उनके पीएम बनने की संभावना थी। एक किताब में लिखा है- जगजीवन राम किसी भी कीमत पर पीएम नहीं बनने चाहिए। अगर वे पीएम बन गए तो कभी नहीं हटेंगे। कांग्रेस ने बिहार के सपूत सीताराम केसरी के साथ भी अपमानजनक व्यवहार किया।