Report By: Amit Rana
गाजियाबाद साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे शातिर गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो फर्जी जीवन बीमा और हेल्थ पॉलिसियों के नाम पर करीब 1500 लोगों को ठग चुका है। अब तक इस गैंग ने लोगों से लगभग 4.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। पुलिस ने इस गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
अपर पुलिस आयुक्त (अपराध एवं कानून व्यवस्था) आलोक प्रियदर्शी के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में अमन अग्रवाल (बालाजी एंक्लेव, गोविंदपुरम), राहुल यादव (शास्त्री पार्क, दिल्ली), आफताब आलम (मसूरी), राहुल शर्मा (मुबारिकपुर, हापुड़), दीपक (गैंदपुर शेखपुर, बुलंदशहर), गर्वित त्यागी (कुचेसर रोड चौपला, हापुड़) और जगजीत सिंह (सरदुलगढ़, पंजाब) शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक, इन आरोपियों में से दो पहले बीमा कंपनियों में कार्यरत रह चुके हैं और उसी अनुभव का इस्तेमाल कर फर्जी पॉलिसी बनाकर लोगों को ठगने का नेटवर्क खड़ा किया गया था।
कंपनी से नौकरी छोड़ने के दौरान आरोपियों ने पॉलिसी धारकों का डेटा चुरा लिया और फिर एक गैंग बनाकर उन्हीं ग्राहकों को फोन कर बीमा पॉलिसी रिन्यू कराने या अधिक लाभ के नाम पर नई पॉलिसी का लालच देकर फर्जी बीमा पॉलिसी जारी करने लगे। वे सॉफ्टवेयर की मदद से नकली रसीदें और बीमा पॉलिसी बनाकर ग्राहकों को सौंपते थे। अब तक यह गैंग 1500 फर्जी पॉलिसी बनाकर करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है। इनके पकड़े जाने पर चार राज्यों में हुई नौ घटनाओं का खुलासा हुआ है। गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों में निशांत त्यागी, विलास, गणेश और भूपेश के नाम भी सामने आए हैं, जिनकी तलाश में पुलिस टीमें जुटी हुई हैं।
अपर पुलिस आयुक्त (अपराध एवं कानून व्यवस्था) आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि आरोपियों के पास से 26 मोबाइल फोन, 14 डेबिट कार्ड, 1 लाख 98 हजार रुपये नकद और दो लग्जरी कारें बरामद की गई हैं। साथ ही, बरामद मोबाइल फोन से उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गुजरात और नई दिल्ली सहित कई राज्यों के जिलों में लोगों से की गई धोखाधड़ी की जानकारी भी मिली है।
पूछताछ के दौरान अमन अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2021 में वह नोएडा की एचएएक्सएआर नामक कंपनी में कार्यरत था, जो कई जीवन और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की अधिकृत पॉलिसी सेवा केंद्र थी। वहां लोगों को बीमा से जुड़ी जानकारी दी जाती थी। उसी कंपनी में राहुल शर्मा भी काम करता था। नौकरी के दौरान उन्हें पॉलिसी धारकों की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त हो गई। कुछ समय बाद दोनों ने नौकरी छोड़ दी और फिर राहुल यादव, आफताब, दीपक, जगजीत और गर्वित के साथ मिलकर एक संगठित गिरोह बना लिया।