रील संस्कृति बन रही ठगी का आधार
कोरोना काल के बाद से रील बनाने का चलन तेजी से बढ़ा है, और हर उम्र के लोग अपने फॉलोअर और व्यूज बढ़ाने में जुट गए हैं। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, अपराधी इस बढ़ती लत का फायदा उठा रहे हैं। वे लोगों को आकर्षक ऑफर देकर एकमुश्त राशि के बदले स्थायी ब्लू टिक और भारी संख्या में फॉलोअर देने का झांसा देते हैं। विशेष रूप से रील बनाने वाले और सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने की चाह रखने वाले लोग इनके निशाने पर हैं।
अकाउंट हैकिंग और सोशल मीडिया सर्विस का लालच
साइबर अपराधी खुद को हैकर घोषित कर फॉलोअर बढ़ाने की प्रक्रिया को ‘अकाउंट हैकिंग सर्विस’ का नाम देकर लोगों को लुभा रहे हैं। उनका दावा है कि उनके पास सोशल प्लेटफॉर्म्स के सिस्टम को हैक करने का फॉर्मूला है, जिससे वे किसी भी अकाउंट के फॉलोअर बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, ‘सोशल मीडिया सर्विस’ के नाम पर भी धोखाधड़ी हो रही है। जालसाज महज 799 रुपये में फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट अकाउंट हैक करने और 850 रुपये में वॉट्सऐप हैक करने का ऑफर दे रहे हैं।
पीड़ितों की आपबीती: लाखों रुपये का चूना
इस ठगी का शिकार कई लोग हो चुके हैं। राजनगर एक्सटेंशन के बीटेक छात्र विभु सिंघल ने इंस्टाग्राम पर 10 लाख फॉलोअर पाने के लालच में 35,000 रुपये गंवा दिए। शुरुआत में 3,500 रुपये ट्रांसफर करने के बाद भी फॉलोअर न बढ़ने पर ठगों ने और रकम ऐंठ ली। इसी तरह, कविनगर बी-ब्लॉक के सिद्धार्थ शर्मा ने एक लाख फॉलोअर बढ़ाने के चक्कर में 7,500 रुपये खो दिए। दोनों मामलों में फॉलोअर न बढ़ने पर पीड़ितों को ठगी का अहसास हुआ।
खतरे की घंटी: खाता जानकारी साझा न करें
एडीसीपी क्राइम पीयूष सिंह ने चेतावनी दी कि ब्लू टिक या फॉलोअर बढ़ाने के नाम पर न सिर्फ पैसा गंवाने का खतरा है, बल्कि विज्ञापन लिंक पर क्लिक करने से मोबाइल का एक्सेस ठगों के हाथ लग सकता है। इसके बाद वे डेटा का दुरुपयोग कर खाते खाली कर सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि अनजान लिंक पर क्लिक करने, खाता जानकारी साझा करने या इन विज्ञापनों पर प्रतिक्रिया देने से बचें।