Report By : SHWETA AGARWAL (ICN Network)
KANPUR NEWS : जब अंग्रेजों ने मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी थी तो तिलक ने 3 मंजिल मकान को ही बप्पा का घर बना दिया था. जी हां बात 100 साल पहले की है और शहर था कानपुर. महाराष्ट्र से बाहर उत्तर भारत में गणेश उत्सव की शुरुआत होनी थी और इसके लिए जरूरी था गणपति गजानन की स्थापना, लेकिन अंग्रेजों ने पास में ही मस्जिद होने का बहाना बनाकर मंदिर नहीं बनने दिया, लेकिन गणपति विराजे वहीं
उत्तर प्रदेश का इकलौता आठ स्वरूप वाला सिद्धिविनायक गणेश मंदिर कानपुर में हैं..जिसका इतिहास लगभग 125 साल पुराना है..घंटाघर में स्थित गणेशोत्सव के उत्साह की नींव वर्ष 1918 में बाल गंगाधर तिलक ने रखी थी.. जिसका पूरा निर्माण कार्य 1923 में हुआ था..अंग्रेजों के विरोध के चलते घंटाघर स्थित प्राचीन मंदिर मकान के रूप में निर्मित किया गया था..मंदिर में विह्नहर्ता के पुत्र शुभ और लाभ के साथ ऋद्धि-सिद्धि भी विराजमान हैं..प्रतिवर्ष गणेशोत्सव पर मंदिर में भगवान के दर्शन को देश-विदेश से भक्त आते हैं..मंदिर में संगमरमर की मूर्ति के अलावा पीतल के गणेश भगवान के साथ रिद्धि और सिद्धि भी स्थापित हैं .
शहर में और भी जगह भव्य पंडालों का निर्माण किया गया है..पर इस मंदिर के विशेषताएं अलग है,सिद्धिविनायक मंदिर में साल के प्रतिदिन भक्तों का तांता देखने को मिलता है