Report By : ICN Network
महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने हेतु आदिवासी विकास और सामाजिक न्याय विभागों के बजट में कटौती की है। इस कदम से आदिवासी, अनुसूचित जाति और नवबौद्ध समुदायों के लिए निर्धारित योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
राज्य सरकार ने महिला कल्याण योजनाओं के लिए आवश्यक धनराशि जुटाने हेतु आदिवासी विकास विभाग से ₹335.70 करोड़ और सामाजिक न्याय विभाग से ₹410.30 करोड़ की राशि पुनः आवंटित की है। इस पुनः आवंटन के कारण आदिवासी और एससी/एसटी समुदायों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बजट में कमी आई है।
महिला बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने जानकारी दी कि अप्रैल माह की किस्त की प्रक्रिया शुरू हो गई है और अगले 2 से 3 दिनों में सभी पात्र लाभार्थियों के खातों में धनराशि जमा कर दी जाएगी। हालांकि, पहले यह घोषणा की गई थी कि अक्षय तृतीया के दिन किस्त का भुगतान किया जाएगा, लेकिन तकनीकी कारणों से इसमें देरी हुई है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आश्वासन दिया है कि लाडकी बहिन योजना को कभी बंद नहीं किया जाएगा और यह राज्य में महिलाओं के लिए एक स्थायी कल्याणकारी योजना बनी रहेगी। उन्होंने विपक्ष पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया और नागरिकों से गलत सूचनाओं पर विश्वास नहीं करने की अपील की।
इस निर्णय के बाद, आदिवासी और एससी/एसटी समुदायों के कल्याण के लिए लागू योजनाओं की प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस पुनः आवंटन की प्रक्रिया को जारी रखा गया, तो इन समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की गुणवत्ता और पहुंच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
राज्य सरकार को चाहिए कि वह महिला कल्याण योजनाओं की सफलता को देखते हुए आदिवासी और एससी/एसटी समुदायों के लिए निर्धारित योजनाओं के बजट में कटौती के बजाय, दोनों क्षेत्रों के लिए पर्याप्त और समुचित बजट सुनिश्चित करे। इससे सभी वर्गों के विकास और कल्याण में संतुलन बना रहेगा।