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दिल्ली: पुलिस को मिलेंगी अपनी इमारतें

दिल्ली पुलिस के 18 पुलिस थानों की जल्द ही अपनी बिल्डिंग होगी। इसके लिए जमीन मिल गई है और केंद्रीय गृहमंत्रालय ने भवन बनाने की अनुमति भी दे दी है। थानों के लिए बिल्डिंग बनाने में कुल 653 करोड़ होंगे खर्च होंगे। परियोजना पूरा करने का जिम्मा सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) को दिया जाएगा।

गृह मंत्रालय ने हाल ही में पुलिस के 26 प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में 18 पुलिस थानों को बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 653.46 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति और खर्च की मंजूरी दी है। इनमें से कुछ थानों की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है तो कुछ किराए की इमारत में चल रहे हैं। जैतपुर थाना इनमें सबसे महंगा है लेकिन अन्य थानों का भी किराया लाखों में है।

किराये में जा रहे लाखों
थाना        किराया
भलस्वा डेयरी      `2.23 लाख
सोनिया विहार      `2.38 लाख
तिगड़ी      `          2.50 लाख
निहाल विहार `         2.69 लाख
*बाकी थाने भी 60 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक किराया दे रहे हैं।

महिला पुलिसकर्मियों के लिए हॉस्टल बनाए जाएंगे
दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 18 पुलिस स्टेशनों की बिल्डिंग के अलावा इस रकम से पुलिस की सात नई चौकियां भी बनाई जाएगी। ये चौकियां किराए के मकानों में चल रही है। इसी तरह रोहिणी में महिला स्टाफ के लिए एक वूमेन हॉस्टल बनाया जाएगा, जो सुरक्षित और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। पुलिसकर्मियों को बेहतर आवास की सुविधाओं के मद्देनजर 15 पुलिस स्टेशन के परिसरों में कुल 180 फ्लैट्स बनाए जाएंगे, जिनमें हर कॉम्प्लेक्स में 12-12 फ्लैट्स बनाने की योजना है। कई अन्य छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स भी है, जिन्हें इस रकम के जरिए पूरा करने में मदद मिलेगी।

जमीन की बहुत कमी है
किराए की इमारतों में चल रहे पुलिस स्टेशन की वजह दिल्ली में जमीन की कमी बताई जा रही है। इसकी वजह से दिल्ली पुलिस पर मासिक खर्च बढ़ता है। स्टेशनों की बुनियादी ढांचागत स्थिति भी प्रभावित होती है। कई स्टेशनों के लिए सरकार नई इमारतें बनाने की योजना बना रही है।

किराए पर चलने वाले कुछ पुलिस स्टेशन
भारत नगर, शाहबाद डेरी, प्रेम नगर, स्वरूप नगर, भलस्वा डेरी, जैतपुर, सोनिया विहार, फतेहपुर बेरी, छावला, करावल नगर, निहाल विहार, रणहौला और तिगड़ी थाने किराए की बिल्डिंगों में चल रहे हैं।

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

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